रावी बाहर आंगन में रोती है रावी अपना बिस्तर लेकर आंगन में सोती है। क्रिश उसे देखता है तो रावी उसे धमकाती है कि वो ये बात किसी से नही बोलेगा। उधर ऋषिता रावी के घर आने से खुश है क्योकि अब उसको घर के सारे काम नही करने पड़ेंगे। ऋषिता देवा से पुछती है कि वो कुछ बोल क्यो नही रहा। जिस पर देव बोलता है कि उसे लगता है कि ऋषिता परिवार के बारे में बिलकुल नही सोचती। देव कहता है कि ऋषिता बाद में भी तो नौकरी कर सकती है। इस बात से ऋषिता नाराज़ हो जाती है और मुंह फूला कर सो जाती है।
शिवा रावी को देखने जाता है शिवा बाहर आंगन में सो रही रावी को देखता है। शिवा मन में सोचता है कि उसने रावी के साथ बहुत गलत किया है। रावी धरा कि बात सुनकर एक बार में ही पाड्यी परिवार लौट आई। शिवा रावी को चादर उड़ाता है। रावी निंद में उसका हाथ पकड़कर अपने सिर के नीचे रख लेती है। शिवा हाथ निकालाता और जल्दी से कमरे में भागता है क्योकि उसे किसी की आहट सुनाई दी। धरा आंगन में रावी को सोता हुआ देखती है। धरा इस बात से उदास हो जाती है कि रावी को बाहर सोना पड़ रहा है। वही धरा शिवा को उसके कमरे में देखती है जहां वो भी नीचे ज़मीन पर सो रहा होता है।
ऋषिता किसी काम के लिए बाहर जाती है ऋषिता किसी काम से बाहर जा रही है। रावी ऋषिता से पुछती है कि उसको कितनी देर हो जाएगी क्योकि उसे भी कॉलेज की फीस भरने जाना है। ऋषिता इस बात पर गुस्सा हो जाती है और बोलती है कि रावी को उसी वक्त काम क्यो याद आ रहा है जिस वक्त वो बाहर जा रही है। वही बाद में धरा ऋषिता से बोलती है कि वो देव मां की दवाई लाने के लिए बोल दे। ऋषिता बोलती है कि देव किसी काम से पहले ही निकल गया है और मां की दवाई वो ले आएगी।
धरा की साड़ी में आग लग जाती है धरा रसोई में आती है और चाय बनाने लगती है। रावी उसे काम करने से मना करती है पर धरा उसकी बात नही सुनती। चुलाह जलाते हुए धरा की साड़ी में माचीस की तीली गिर जाती है और धरा की साड़ी जलने लगती है। रावी आग अपने हाथों से बुझाती है। रावी धरा को बैठाती है और उससे माफी मांगती है। धरा बोलती है कि रावी ने सब के सामने घर की इज़्ज़त खराब की है।
सुमन रावी पर लाठी उठाती है रावी रसोई का दरवाज़ा बंद कर देती है, ताकि धरा उससे बात करें। सुमन दरवाज़ा के बाहर आवाज़ लगाती है और गेट खोलने के लिए बोलती है। रावी दरवाज़ा खोलती है और धरा बाहर चली जाती है। सुमन ये देखकर गुस्से में रावी पर डंडा उठाती है लेकिन धरा बीच में आकर रावी को बचाती है। सुमन बोलती है कि भले धरा ने रावी को माफ कर दिया हो मगर वो रावी को माफ नही करेगी।