बिहार की राजनीति में 16 जनवरी के बाद से हलचल तेज हुई। दरअसल, गृहमंत्री शाह से इंटरव्यू के दौरान यह पूछे जाने पर कि पुराने साथी जो छोड़कर गए थे नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहेंगे तो क्या रास्ते खुले हैं? इस पर गृहमंत्री शाह ने राजस्थान पत्रिका को संक्षिप्त मगर सधा हुआ जवाब देते हुए कहा था, “जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती। किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा।”
उनके इस जवाब से संकेत मिले कि भाजपा ने नीतीश के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। क्योंकि इससे पूर्व बिहार में एक जनसभा के दौरान अमित शाह ने नीतीश के लिए भाजपा के दरवाजे पूरी तरह बंद होने की बात कही थी। गृहमंत्री शाह के रुख में नीतीश को लेकर आई इस नरमी के पीछे के निहितार्थ तलाशे जाने लगे। बड़े नेताओं के बयान आने लगे। तेजस्वी यादव को कई बार राजद-जदयू गठबंधन मजबूत होने की सफाई देनी पड़ी। लेकिन, हुआ वही, जिसकी अटकलें लग रहीं थीं। रविवार को नीतीश ने राजद के साथ बठबंधन तोड़ते हुए भाजपा के साथ सरकार बनाते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।