Kartavyapath: …तो इस तरह से ‘कर्तव्य पथ’ हुआ राजपथ का नाम, NDMC ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को दी मंजूरी
विजय चौक से इंडिया गेट तक कहलाने वाला राजपथ अब ‘कर्तव्य पथ’ से जाना जाएगा। विजय चौक से इंडिया गेट तक राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। जहां केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग, कार्यालय स्थित हैं। विजय चौक से इंडिया गेट के बीच राजपथ की लंबाई 1.8 किमी, सड़क की चौड़ाई 12 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई, जो ग्रेनाइट पत्थर से बनी है, दोनों तरफ से 4.2 मीटर है। बुधवार को एनडीएमसी की विशेष बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) की विशेष बैठक में राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई।
NDMC की बुधवार को हुई विशेष बैठक में राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। इस बैठक की अध्यक्षता भारत सरकार की विदेश एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने की। इस बैठक में पालिका परिषद के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह भल्ला, उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव डी. थारा, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आशुतोष अग्निहोत्री, एनडीएमसी के सचिव विक्रम सिंह मलिक के साथ एनडीएमसी के अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधायक व एनडीएमसी सदस्य वीरेंद्र सिंह कादियान, सदस्य कुलजीत सिंह चहल, विशाखा सैलानी और गिरीश सचदेवा बैठक में शामिल हुए।
औपनिवेशिक इतिहास को लोकतांत्रिक राष्ट्र की थीम पर चाहिए बदलना – लेखी एनडीएमसी की विशेष बैठक के बाद प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मीनाक्षी लेखी ने बताया कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से एनडीएमसी को राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलने के संबंध में एक अनुरोध प्राप्त हुआ। लोकतांत्रिक व्यवस्था, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एनडीएमसी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को मंजूरी दी है। जिससे लोक कल्याण और राष्ट्र विकास की दिशा में कर्तव्यों को अपनाया जा सके। एनडीएमसी द्वारा यह एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इसके पीछे यह विचार है कि इस क्षेत्र के पूरे औपनिवेशिक इतिहास को लोकतांत्रिक राष्ट्र की थीम और मूल्यों पर बदला जाना चाहिए।
एनडीएमसी का है ऐतिहासिक फैसला मीनाक्षी लेखी ने कहा कि राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ करने के संबंध में एनडीएमसी द्वारा यह एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इसके पीछे यह विचार है कि इस क्षेत्र के पूरे औपनिवेशिक इतिहास को लोकतांत्रिक राष्ट्र की थीम और मूल्यों पर बदला जाना चाहिए। पहले राजपथ को “किंग्स वे” और “जनपथ” को “क्वींस वे” के नाम से जाना जाता था। “क्वींस वे” का नाम बदलकर “जनपथ” कर दिया गया था जबकि “किंग्स वे” का केवल हिंदी में “राजपथ” के रूप में अनुवाद किया गया। आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर ऐसा महसूस किया जा रहा था कि लोकतंत्र के मूल्यों, सिद्धांतों और समसाययिक नए भारत के साथ राजपथ का नाम बदलने की जरूरत है।
स्वतंत्र लोकतांत्रिक नए भारत में जनता सर्वोच्च है मीनाक्षी लेखी ने कहा कि राजपथ का तात्पर्य राजा के विचार की मानसिकता से है जो शासितों पर शासन करता है, जबकि स्वतंत्र लोकतांत्रिक नए भारत में, यह जनता है, जो सर्वोच्च है और सरकार और लोक सेवक यहां आम जनता की सेवा व जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नए कर्तव्य पथ की अवधारणा हमें बिना किसी भेदभाव के राष्ट्र, समाज, परिवार और सभी लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। श्रीमती लेखी ने संविधान के तहत निहित मौलिक कर्तव्यों का भी हवाला दिया और कहा कि ये हमारी समृद्ध विरासत और मिश्रित संस्कृति के संरक्षण के लिए यह प्रेरणा हैं। उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं के तहत कर्तव्यों के विषय को याद करते हुए कहा कि केवल यहां कर्तव्य प्रमुख हैं, अधिकार नहीं। इसके पीछे कारण यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन करता है तो दूसरों के अधिकार अपने आप उसमे पूरे हो जाते हैं। “कर्तव्य पथ” राष्ट्र, समाज, परिवार और सभी लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए इस सड़क पर आने वाले या सड़क को पार करने वाले सभी लोगों को भी प्रेरित करेगा । यह शासन प्रणाली के तहत राष्ट्र और उसके लोगों के प्रति कर्तव्यों का पालन करने की सोच के तहत दिमाग को भी बदलेगा।
संविधान से प्रेरणा लेते हुए सदस्यों ने अपने विचार मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अमृत काल में, हमने भारत के संविधान के अध्याय 4(1) के तहत परिभाषित अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करता है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज, स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष और हमारी मिश्रित संस्कृति की समृद्ध विरासत के संरक्षण के लिए अपने सिद्धांतों से प्रेरित विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। इससे पहले, सभी परिषद सदस्यों ने परिषद की बैठक में “कर्तव्य पथ” पर औपनिवेशिक प्रतीकों से स्वतंत्रता, आजादी का अमृत महोत्सव में औपनिवेशिक नाम से आजादी, भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और इसके संरक्षण पर विचार विमर्श करते हुए और संविधान से प्रेरणा लेने का हवाला देते हुए अपने विचार और व्याख्याएं व्यक्त की।
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