सिगरेट-बीड़ी से कुल टैक्स = 538 अरब रुपये
सिर्फ अप्रत्यक्ष धुम्रपान का बोझ = 567 अरब रुपये
जेब में आगः
– ‘जर्नल ऑफ निकोटिन एंड टोबैको रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ शोध
– धुम्रपान नहीं करने वाले हर वयस्क पर 705 रुपये प्रति वर्ष का बोझ
– स्वास्थ्य पर हम जितना खर्च करते हैं उसका 8 प्रतिशत
– देश की जीडीपी का 0.3 प्रतिशत बोझ इसकी वजह से
– प्रभावित होने वाली महिलाओं का औसत पुरुषों के मुकाबले दुगना
– भारत में लगभग 10 करोड़ लोग धुम्रपान करते हैं
– तंबाकू सेवन से सालाना 12 लाख लोगों की जान जाती है
– तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या में भारत दूसरे स्थान पर
तंबाकू उत्पादों की बिक्री से सरकार को होने वाली कमाई की बात का तर्क अब हमेशा के लिए समाप्त हो जाना चाहिए। सरकार को सिगरेट-बीड़ी से टैक्स में मिलते हैं सालाना 538 अरब रुपये और सिर्फ अप्रत्यक्ष धुम्रपान यानी सेकेंडहैंड स्मोकिंग से देश पर 567 अरब रुपये का सालाना बोझ पड़ रहा है। यानी तंबाकू उत्पाद ना सिर्फ लोगों की जान ले रहे हैं, बल्कि हमें कंगाल भी कर रहे हैं।
भारत में अप्रत्यक्ष धुम्रपान के आर्थिक बोझ को ले कर हुए पहले वैज्ञानिक अध्ययन में यह सच्चाई सामने आई है। ‘जर्नल ऑफ निकोटिन एंड टोबैको रिसर्च’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुए इस शोध के मुताबिक 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अप्रत्यक्ष धुम्रपान की वजह से जो बीमारियां होती हैं उनके इलाज की वजह से देश पर हर साल 567 अरब रुपये का बोझ पड़ता है। तंबाकू उपयोग को ले कर स्वास्थ्य मंत्रालय के उपलब्ध सरकारी आंकड़ों को आधार बना कर यह आर्थिक बोझ का आकलन गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रत्यक्ष धुम्रपान कितनी भी कम मात्रा में हो उसका स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर पड़ता है।
100% तंबाकू-मुक्त हों सार्वजनिक स्थल
इतने बड़े बोझ की दो प्रमुख वजह हैं। एक तो भारत में तंबाकू का सेवन बहुत है दूसरा सार्वजनिक स्थलों पर अब भी धुम्रपान हो रहा है। सार्वजनिक स्थलों को सौ फीसदी धुम्रपान मुक्त करना होगा।
-डॉ. रीजो एम जॉन, शोधकर्ता और तंबाकू पर टैक्स संबंधी केंद्र सरकार की समिति के सदस्य
सख्त हों Tobacco control कानून
सेकेंडहैंड धुम्रपान secondhand smoke की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है यानी कम से कम मात्रा में भी होने पर यह नुकसान करता है। तंबाकू उत्पादों के खिलाफ सख्त कानून बना कर भारत लाखों जिंदगियां बचा सकता है और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला भारी बोझ दूर कर सकता है। सार्वजनिक जगहों public place पर स्मोकिंग जोन designated smoking areas (DSAs) को समाप्त कर इन्हें सौ फीसदी धुम्रपान मुक्त किया जाए।
– डॉ. पंकज चतुर्वेदी, हेड एंड नेक कैंसर के सर्जन, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल
Hotels को तंबाकू-मुक्त बनाया जाए
होटल, रेस्टोरेंट और एयरपोर्ट आदि में स्मोकिंग जोन बंद हों। भारत को सौ फीसदी तंबाकू-मुक्त tobacco free करने की दिशा में सरकार की ओर से उठाया गया हर कदम देश को स्वस्थ्य और समृद्ध बनाएगा।
– डॉ. जीपी शर्मा, अध्यक्ष, हॉस्पिटलिटी एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश