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नई दिल्ली

भाजपा युवा मोर्चा ने कारगिल दिवस की पूर्वसंध्या पर निकाला मशाल जुलूस

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले- यूपीए सरकार के रक्षा मंत्री ने सैनिकों के लिए सड़क बनवाने के लिए पैसे न होने की बात कही थी
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा हर जिले में ‘विजय ज्योति’ जलाकर शहीदों का करेगा सम्मान

नई दिल्लीJul 26, 2024 / 04:59 pm

Navneet Mishra

नई दिल्ली। कारगिल विजय दिवस की पूर्वसंध्या पर गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा ने शहर में विजय जुलूस निकाला। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कनॉट प्लेस में आयोजित मशाल रैली में शामिल होकर कारगिल युद्ध में विपरीत परिस्थितियों में देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर जवानों को याद किया।
नड्डा ने कहा कि 25 वर्ष पहले भारतीय सेना ने कारगिल पर विजय प्राप्त की थी और कल कारगिल विजय दिवस को रजत जयंती के रूप में मनाया जाएगा। कारगिल का विजय दिवस मनाकर हम भारत के उन वीर सपूतों को याद करेंगे जिनके शौर्य ने कारगिल पर पाकिस्तान के इरादों को चकनाचूर कर दिया था और भारत का झंडा लहराया था। कारगिल का युद्ध एक विशेष परिस्थिति का युद्ध था। पाकिस्तान ने सीधी तरीके से आक्रमण नहीं किया था बल्कि चोरों की तरह चुपके-चुपके पाकिस्तान के सैनिकों ने कारगिल पर अड्डा जमाया था। लेफ्टिनेंट कालिया और विक्रम बत्रा जैसे शहीदों को याद करते हुए यह बात भी याद रखी जानी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में भी देश के जवानों ने ये लड़ाई लड़ी थी। दुश्मन कारगिल की चोटियों पर था और भारत के वीर जवानों को पहाड़ पर चढ़कर उस दुर्गम चोटी पर कब्जा करना था। यह बहुत ही कठिन कार्य था। हमारे वीर जवान रुके नहीं, उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि लगातार योजनाबद्ध तरीके से लड़े और फिर से कारगिल की दुर्गम चोटियों पर तिरंगा लहराया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जब कारगिल का युद्ध चल रहा था तब प्रधानमंत्री मोदी उत्तर भारत के भाजपा के महामंत्री और प्रभारी थे। उस समय भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर मोदी ने कारगिल जाकर जवानों का उत्साहवर्धन किया था। अटल बिहारी बाजपेयीृ ने उस दौरान कहा था कि जो भी शहीद होगा, वो शहादत किसी परिवार की नहीं बल्कि देश की होगी। पूरे सम्मान के साथ उनके शरीर को लाया जाएगा और अंतिम संस्कार किया जाएगा। जब 1962 में चीन से और 1971 में पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो हमारे शहीद जवानों के कपड़े, टोपी और उनका पहचान पत्र तो घर आता था लेकिन जवान नहीं आता था। प्रधानमंत्री अटल ने यह तय किया कि कोई भी जवान जो देश के लिए शहादत देता है, पूरे सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार उसके गांव में होगा और इनकी पूरी जिम्मेदारी सरकार व भारतीय सेना लेगी।
नड्डा ने कहा कि जब यूपीए के कार्यकाल में रक्षामंत्री से पूछा गया कि आप सीमा पर सैनिकों के लिए सड़क क्यों नहीं बनवाते हैं? तो उत्तर दिया गया था कि सरकार की प्राथमिकता में इस कार्य के लिए पैसे नहीं हैं। पहले सीमा का काफिला वन-वे सड़क से जाता था, आज हमारी फौज सीमा तक जाने के लिए डबल-लेन सड़क और पक्के डबल-लेन पुलों का उपयोग कर रही है।

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