प्रल्हाद जोशी ने कहा, “लक्ष्मीकांत बाजपेयी को राज्यसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किया गया है।” लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा के कद्दावर नेता होने के साथ ही भाजपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। बाजपेयी ने चार बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है। 2012-2016 के बीच चार साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते 2014 में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 80 में 71 सीटें जीती थी।
बताया जाता है कि जब वह 14 साल के थे , तभी से जनसंघ से जुड़ गए थे। छात्र जीवन से ही वह राजनीति से जुड़ गए थे। वह कॉलेज लाइफ में जनरल सेकेट्री भी रह चुके हैं। 1977 में वह जनता पार्टी के युवा विंग के अध्यक्ष बने। 1980 में वह भारतीय जनता पार्टी मेरठ के जनरल सेकेट्री बने। फिर वह उत्तर प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी बने।
इसके बाद दिसंबर 2012 में उन्हें भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 80 में से 71 सीटें हासिल की थीं। वाजपेयी चार बार मेरठ शहर सीट से विधायक रह चुके हैं। हालांकि, 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब उन्हें भाजपा ने सदन में अपना मुख्य सचेतक नियुक्त किया है।
मुख्य सचेतक नियुक्त किए जाने के बाद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भाजपा का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मुझे राज्यसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त करने के लिए मा० प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, मा० गृह मंत्री श्री अमित शाह जी, मा० राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी व समस्त पार्टी नेतृत्व का हार्दिक आभार। मैं पार्टी नेत्रत्व द्वारा दी गयी इस ज़िम्मेदारी का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करूँगा। पुनः शीर्ष नेत्रत्व का हार्दिक आभार।”
मुख्य सचेतक नियुक्त किए जाने के बाद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भाजपा का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मुझे राज्यसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त करने के लिए मा० प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, मा० गृह मंत्री श्री अमित शाह जी, मा० राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी व समस्त पार्टी नेतृत्व का हार्दिक आभार। मैं पार्टी नेत्रत्व द्वारा दी गयी इस ज़िम्मेदारी का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करूँगा। पुनः शीर्ष नेत्रत्व का हार्दिक आभार।”
मुख्य सचेतक कौन होता है और उनकी क्या-क्या जिम्मेदारिया होती हैं?
– राजनीतिक पार्टियां, सदन के अंदर व्हिप जारी करने के लिए अपने सदस्यों में से वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करती हैं, इस सदस्य को मुख्य सचेतक कहा जाता है, और इनकी सहायता के लिए पार्टियों द्वारा अतिरिक्त सचेतक भी नियुक्त किये जाते है।
– मतदान के समय अपने दल के सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साथ ही समुचित रूप से कार्य प्रणाली का संचालन एवं आकस्मिक मुद्दे पर अपने दल के मत को स्पष्ट करने की जिम्मेदारी सचेतक की होती है।
– वह सुनिश्चित करता है कि सदस्यों के बीच किसी मुद्दे को लेकर विद्रोह या मन-मुटाव न रहे, अगर ऐसा होता है तो वह पार्टी के अध्यक्ष को इसकी सूचना देता है।
– सचेतक पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने पर उस सदस्य की सदस्यता दल बदल कानून के अंतर्गत ख़त्म कर सकता है।
– सीधे तौर पर कहें तो किसी राजनैतिक दल में सचेतक वह व्यक्ति होता है जो उस दल में अनुशासन बनाये रखने के लिये उत्तरदायी होता है।
– व्हिप किसी राजनीतिक दल का एक अधिकारी होता है जो संसद सदन अथवा विधान सभा के अंदर दल के ‘प्रवर्तक’ के रूप में कार्य करता है।
– इसका पालन न होने पर सदस्यों पर संविधानिक रूप से कार्यवाही की जा सकती है जैसे दल बदल कानून के रूप में।
– व्हिप में सदस्य द्वारा उपस्थित न हो पाना, यह सदस्य को पहले ही बता देना होगा अन्यथा सदस्यता रद्द की जा सकती है।
– राजनीतिक पार्टियां, सदन के अंदर व्हिप जारी करने के लिए अपने सदस्यों में से वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करती हैं, इस सदस्य को मुख्य सचेतक कहा जाता है, और इनकी सहायता के लिए पार्टियों द्वारा अतिरिक्त सचेतक भी नियुक्त किये जाते है।
– मतदान के समय अपने दल के सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साथ ही समुचित रूप से कार्य प्रणाली का संचालन एवं आकस्मिक मुद्दे पर अपने दल के मत को स्पष्ट करने की जिम्मेदारी सचेतक की होती है।
– वह सुनिश्चित करता है कि सदस्यों के बीच किसी मुद्दे को लेकर विद्रोह या मन-मुटाव न रहे, अगर ऐसा होता है तो वह पार्टी के अध्यक्ष को इसकी सूचना देता है।
– सचेतक पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने पर उस सदस्य की सदस्यता दल बदल कानून के अंतर्गत ख़त्म कर सकता है।
– सीधे तौर पर कहें तो किसी राजनैतिक दल में सचेतक वह व्यक्ति होता है जो उस दल में अनुशासन बनाये रखने के लिये उत्तरदायी होता है।
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व्हिप क्या होता है?– व्हिप किसी राजनीतिक दल का एक अधिकारी होता है जो संसद सदन अथवा विधान सभा के अंदर दल के ‘प्रवर्तक’ के रूप में कार्य करता है।
– इसका पालन न होने पर सदस्यों पर संविधानिक रूप से कार्यवाही की जा सकती है जैसे दल बदल कानून के रूप में।
– व्हिप में सदस्य द्वारा उपस्थित न हो पाना, यह सदस्य को पहले ही बता देना होगा अन्यथा सदस्यता रद्द की जा सकती है।
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