बिरला ने यह बातें संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कही। बिरला ने कहा कि सेन्ट्रल हॉल में गहन चर्चा के बाद बने इस संविधान ने देश की भौगोलिक और सामाजिक विविधता को एक सूत्र में बांधा। भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को आकार दिया है। बिरला ने कहा कि संविधान न केवल विधिक मार्गदर्शक है, बल्कि एक वृहत सामाजिक दस्तावेज भी है। संविधान ने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को आपसी समन्वय के साथ सुचारु रूप से कार्य करने की व्यवस्था दी है। बिरला ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के नेतृत्व में पूरा देश एक साथ मिलकर पवित्र संविधान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने के ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि यह कदम वर्तमान पीढ़ी, विशेषकर युवाओं को संविधान में निहित मूल्यों, आदर्शों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से जोडऩे के लिए उठाया गया था।
75 वर्षों में कई महत्पूर्ण संशोधन हुए
बिरला ने कहा कि इन 75 वर्षों के दौरान कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो लोगों की बदलती आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को दर्शाते हैं। इन 75 वर्षों में संविधान के मार्गदर्शन में संसद आम लोगों के जीवन में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाई है, जिससे लोगों का लोकतंत्र में विश्वास मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण से देश की समृद्धि और क्षमता में एक नई गति और शक्ति का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि हम सबका यह प्रयास होना चाहिए कि हम सामूहिक प्रयासों और संकल्प के साथ विकसित भारत की ओर मजबूती से आगे बढ़े।