कृषि के जानकारों की माने तो इन दिनों किसान अधिक उत्पादन देने के चक्कर में असंतुलित मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं। जबकि होना यह चाहिए कि किसान रासायनिक खाद का उपयोग करे इससे मिट्टी की जांच कराए। मिट्टी जांच के बाद ही आवश्यकता अनुसार रासायनिक खाद का उपयोग करे तो इससे न तो जमीन को कोई नुकसान होगा और न ही स्वास्थ्य पर ही इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। लेकिन किसान सत्ता मिल रहा है इसलिए आंख मूंदकर रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं। उपलब्ध जानकारी अनुसार केंद्र सरकार को एक कट्टा यूरिया करीब 1800 रुपए का पड़ता है। किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध हो सके इसके लिए करीब 85 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। इससे हो यह रहा है कि सस्ता मिलने की वजह से किसान इसका उपयोग अधिक कर रहे हैं। दूसरी ओर कीटनाशक का भी किसान बिना जानकारी के उपयोग कर रहे हैं। इस कारण भी नुकसान अधिक हो रहा है। शासन ने कीटनाशक बेचने के लिए सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा है। कीटनाशक विक्रेताओं को भी जानकारी नहीं है। इसका खामियाजा भी किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
इफको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक डा. बीएस जादौन ने बताया कि किसान आवश्यकता से अधिक रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं इसका नुकसान उन्हें ही भुगतना पड़ रहा है। यदि समय रहते प्रशासन, शासन और किसान नहीं चेते तो इसके दूरभागी दुष्परिणाम सामने आएंगे। आवश्यकता से अधिक यूरिया का उपयोग करने से शासन को हर साल अरबों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। जिस स्थान पर क्षमता से अधिक रासायनिक खाद का उपयोग हो रहा है वहां के जलस्त्रोत का पानी जहरीला हो जाता है। पानी पीने योग्य नहीं बचता है। लगातार पानी उपयोग करने से नपुसंकता आ सकती है। नाईट्रोजन का अधिक उपयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इससे आगे चलकर गंभीर बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग आने वाली पीढ़ी के लिस काफी खतरनाक साबित हो सकता है। अंधाधुंध तरीके से हो रहे रासायनिक खाद के उपयोग की वजह से जमीन तो बंजर हो ही रही है। साथ ही नजदीक के पेयजल स्त्रोत भी दूषित हो रहे हैं। समय रहते सचेत नहीं हुए तो नपुसंकता की समस्या भी बढ़ सकती है। यूरिया की आवश्यकता से अधिक मात्रा में हो रहे उपयोग को रोकने के लिए की कीमतों पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
– डा. बीएस जादौन, वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक इफको