महिला ने दी ये दलील
जमानत की मांग करते हुए महिला के वकील ने अदालत में दलील दी कि उसे न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। उसका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है। वकील ने यह भी कहा कि उसके ससुराल वालों द्वारा उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था और वे उसके इलाज का खर्च भी नहीं उठा रहे थे।तलाक में बाधा बन रही थी बच्ची
वकील ने दावा किया है कि कथित अपराध का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। इसलिए, यह मानने का कोई कारण नहीं था कि एक महिला अपनी ही बेटी को मार डालेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिला खुद ही शिशु को इलाज के लिए अस्पताल ले गई थी। हालांकि, सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अपने पति से तलाक लेने के लिए महिला ने कथित तौर पर अपनी बेटी को मार डाला। क्योंकि उसे डर था कि वह तलाक में बाधा बन सकती है।इन धाराओं में महिला के खिलाफ केस दर्ज
इसके साथ ही ब्रह्मभट्ट ने तर्क दिया कि उसे जमानत देने से वह गवाहों को प्रभावित कर सकती है और जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। गवाहों में से अधिकांश उसके परिवार के सदस्य हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जे आई पटेल ने अपने बयान में कहा कि महिला पर अपनी 10 महीने की बेटी की हत्या का गंभीर आरोप है और यह नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1) के तहत दंडनीय है। यह भी पढ़ें
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