अमरीका, जर्मनी, ब्रिटेन सहित कई प्रमुख देशों ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएन आरडब्ल्यूए को दी जाने वाली फंडिंग निलंबित कर दी है। सूची में सबसे ताजा नाम जापान का है। आरोप है कि यूएन एजेंसी के सदस्य हमास के 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले में शामिल थे। जानिए, क्या है पूरा मामला…
क्या है यूएन एजेंसी पर आरोप
इजरायल की सरकार ने हमास और अन्य आतंकवादी समूहों पर एजेंसी से सहायता हड़पने और संयुक्त राष्ट्र की सुविधाओं का सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया है। इजरायल ने यूएनआरडब्ल्यूए फैसेलिटी के बगल में या उसके नीचे चल रही हमास की सुरंगों को भी उजागर किया है और एजेंसी पर इजरायल के प्रति नफरत सिखाने का आरोप लगाया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि एजेंसी को बंद कर देना चाहिए।
एजेंसी बनाने की क्यों पड़ी जरूरत?
अनुमानित 7,00,000 फिलिस्तीनियों को सहायता देने के लिए एजेंसी बनाई गई थी जो देश के निर्माण के आसपास 1948 के युद्ध के दौरान भाग गए थे या इजरायल से बाहर निकाल दिए गए थे। फिलिस्तीनियों का कहना है कि शरणार्थियों और उनके वंशजों को अपने घरों में लौटने का अधिकार है। हालांकि, ऐसा होता है तो इजरायल में फिलिस्तीनी बहुमत में आ जाएंगे जो इजरायल को मंजूर नहीं है।
क्या काम करती है यह एजेंसी?
फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए में हजारों कर्मचारी नियुक्त है और यह पूरे मध्य-पूर्व में लाखों लोगों को जरूरी सहायता और सेवाएं देती है। गाजा में, इजरायल-हमास युद्ध के दौरान यह नागरिकों को भोजन, पानी और आश्रय देने वाली मुख्य एजेंसी रही है। अकेले गाजा में इसके 13000 कर्मचारी हैं, जिनमें से अधिकांश फिलिस्तीनी हैं।
क्या कहते हैं यूएन महासचिव?
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हमास के हमले में भाग लेने के आरोपी 12 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलवाया है, इनमें से 9 को बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही गुटेरेस ने यह कहा है कि गाजा में 20 लाख फिलिस्तीनी या 87% आबादी यूएनआरडब्ल्यूए की सेवाओं पर निर्भर हैं, फंडिंग बहाल नहीं की गई तो फरवरी तक उनका काम ठप्प हो सकता है।
सबसे बड़ा दाता कौन है?
सबसे पहले फंडिंग निलंबित करने वाला पहला देश अमरीका यूएनआरडब्ल्यूए का सबसे बड़ा दाता है, जिसने इसे 2022 में 340 मिलियन डॉलर दिए थे। ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, फिनलैंड और जापान ने भी सहायता निलंबित कर दी है। नॉर्वे व आयरलैंड ने फंडिंग जारी रखने की बात कही है। अन्य दानदाताओं ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।