कौन थीं जस्टिस फातिमा बीवी
30 अप्रैल 1927 को केरल के पाथनमिट्टा में जन्मीं फातिमा बीवी को कामयाब वकील और जज बनाने में पिता अन्नावीतिल मीरन साहिब का बड़ा योगदान है। कहा जाता है कि उनके पिता उन्हें वकील बनते देखना चाहते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कानून में डिग्री हासिल की और नवंबर 1950 में वकील बन गईं। इससे पहले उनकी शुरुआती शिक्षा कैथोलिकेट हाई स्कूल से हुई है। उन्हें स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज से केमिस्ट्री में की थी।
वकील के तौर पर की करियर की शुरुआत
बता दें कि 1950 में वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने एडवोकेट के तौर पर केरल में करियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 1974 में जिला एवं सत्र न्यायालय में जज बनीं। साल 1980 में उन्होंने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्युनल का रुख किया और साल 1983 में उच्च न्यायालय की जज बनीं। इसके बाद साल 1989 में इतिहास दर्ज करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त हुई। सुप्रीम कोर्ट में वह इस पद पर 29 अप्रैल 1992 तक रहीं।
रिटायरमेंट के बाद बनी गवर्नर
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद फातिमा बीवी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य बनीं। इसके बाद वह 25 जनवरी 1997 को तमिलनाडु की राज्यपाल बनी। वह इस पद पर 2 जुलाई 2001 तक यानी की 4 साल 158 दिन तक रही। हालांकि उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा। उनका सबसे विवादित फैसला राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान माना जाता है।
दरअसल, उन्होंने साल 2001 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। खास बात है कि उस साल TANSI भूमि मामले में दोषी पाए जाने के चलते उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था।
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पांच हस्तियों को पद्म विभूषण की घोषणा
पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, सुलभ इंटरनेशनल के प्रणेता दिवंगत बिंदेश्वरी पाठक, फिल्म अभिनेता चिरंजीवी, पूर्व अभिनेत्री बैजयंती माला बाली और पी सुब्रह्मण्यम को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।
17 हस्तियों को पद्म भूषण
मिथुन चक्रवर्ती, राम नाईक, एम फातिमा बीबी, ऊषा उत्थुप, विजयकांत, भाजपा नेता ओ. राजगोपाल समेत को 17 पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा जाएगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है।
110 लोगों के लिए पद्म श्री का ऐलान
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