समुद्री डकैती क्या है?
जहाजों से छोटी-मोटी चोरी से लेकर सशस्त्र डकैती और फिरौती के लिए जहाज के अपहरण तक के अपराधों की पूरी शृंखला है समुद्री डकैती है। आमतौर पर ‘सी पाइरेट्स’ या समुद्री डाकू अंतरराष्ट्रीय जल में नाव-जहाज आदि से आते हैं और दूसरे जहाज पर डकैती डालते हैं।
पकड़े जाने पर क्या होता है
समुद्री डाकुओं को पकड़ लिए जाने पर भी इनका कुछ खास नहीं बिगड़ता। दरअसल, कई राष्ट्रीयताएं, देश, समुद्री क्षेत्र, ध्वज देश आदि जटिल क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों के चलते इन पर मुकदमा चलाना मुश्किल है। आमतौर पर समुद्री बल इन्हें पकड़कर निहत्था कर देते हैं और इनकी नावों से ईंधन निकाल देते हैं ताकि यह ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाए।
इनका खतरा कहां है ज्यादा
वैश्विक व्यापार की बात करें तो हिंद महासागर क्षेत्र को हॉटस्पॉट माना जाता है। यहीं सोमाली समुद्री डाकू सक्रिय हैं। अदन की खाड़ी और गिनी की खाड़ी जैसे कई चोक पॉइंट हिंद महासागर में हैं। चोक पॉइंट पर आकर व्यापारिक जहाज धीमे हो जाते हैं। ऐसे में डाकुओें के लिए इन पर चढ़ना आसान हो जाता है। अफ्रीका के पश्चिमी तट, हॉर्न ऑफ अफ्रीका, बांग्लादेश और मलक्का जलडमरूमध्य, लाल सागर आदि जलक्षेत्रों में भी समुद्री डाकू सक्रिय देखे गए हैं।कितनी सक्रिय भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना हॉर्न ऑफ अफ्रीका और अदन की खाड़ी के अशांत क्षेत्र में तैनात सबसे सक्रिय बलों में से एक है। वर्षा 2008 से नौसेना ने समुद्री डकैती विरोधी गश्त शुरू की थी जो आज भी जारी है। भारतीय नौसेना दशकों से मरीन इंटर्वेशन आॅपरेशन (एमआईओ) का अभ्यास कर रही है और इसमें माहिर है। समुद्री डाकुओं से निपटने में इसके कमांडो सबसे प्रभावी साबित हुए हैं।ये भी पढ़ें: लालकृष्ण आडवाणी 2002 में बने थे मोदी की ढाल, ऐसे बचाई थी उनकी कुर्सी