कई बार ऐसा होता है की आरोपी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करता है तो सेल्फ डिफेंस में पुलिस गोली चला सकती है। सीधा गोली चलाने से पहले पुलिसवाले को उसे वॉर्निंग देकर रोकने की कोशिश करनी होगी अगर फिर भी आरोपी नहीं रुकता है तब पुलिस फायरिंग कर सकती है।
कितने तरह के होते है एनकाउंटर?
हमारे देश में आमतौर पर दो तरह के एनकाउंटर होते हैं। पहला, जिसमें कोई खतरनाक अपराधी पुलिस या सुरक्षाबलों की कस्टडी से भागने की कोशिश करता है तो ऐसे में पुलिस को उसे रोकने या पकड़ने के लिए फायरिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।दूसरा एनकाउंटर वो होता है जिसमे पुलिस किसी अपराधी को पकड़ने जाती है। वो बचने के लिए भागता है। पुलिस जवाबी कार्रवाई करती है। किसी अपराधी द्वारा पुलिस पर हमला करने पर भी पुलिस एनकाउंटर करती है।
सुप्रीम कोर्ट (SC) की गाइडलाइन्स
1. जब पुलिस को गंभीर अपराध करने वाले शख्स के बारे में कोई खुफिया जानकारी या टिप मिलती है तो उसे किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप या केस डायरी में दर्ज करना होगा।2. अगर कोई सीक्रेट इन्फॉर्मेशन मिलने के बाद एनकाउंटर होता है और उसमें बदमाश मर जाता है तो एफआईआर दर्ज करनी होगी। फिर निश्चित धाराओं में अदालत में भेजना होगा।
5. इसके अलावा एनकाउंटर की जानकारी बिना देरी किए राज्य मानवाधिकार आयोग या NHRC को देनी होगी। 6. अगर एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल हो जाता है तो उसको तुरंत इलाज देना होगा. साथ ही मेडिकल अफसर या मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज होना चाहिए. साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट भी देना होगा।
7. जब घटना की जांच पूरी हो जाए, तो उसकी रिपोर्ट कोर्ट को भेजनी होगी. एनकाउंटर के बाद अपराधी या पीड़ित के किसी करीबी रिश्तेदार को उसकी सूचना देनी होगी।