हमें पहले ही पता था BJP आरक्षण को रोकने के लिए कुछ भी करेगी तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम लोग कोर्ट के इस फैसले से आहत हैं। हालांकि, हम लोगों को संदेह काफी पहले से था कि भाजपा आरक्षण को रोकने के लिए कुछ भी कर सकती है। हम लोगों ने चुनाव में भी यह कहा था कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है। आप लोगों को पता है कि हम लोगों ने जब जाति आधारित जनगणना कराई थी, तब बीजेपी के लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे रुकवाने का प्रयास किया था। यही नहीं, सॉलिसिटर जनरल तक को कोर्ट में खड़ा किया गया था, लेकिन हम लोगों की अंत में जीत हुई थी। इसके बाद हम लोगों ने जाति आधारित सर्वे भी कराया था। हम लोगों ने पिछड़ों और अति पिछड़ों का आरक्षण 75 फीसद तक बढ़ाया था, ताकि वो लोग आर्थिक मोर्चे पर मजबूत हो सकें।“
शेड्यूल 9 में डालने के लिए केंद्र सरकार को लिखा था पत्र उन्होंने आगे कहा, “हमने इस संबंध में कैबिनेट बैठक भी की थी। प्रेस कांफ्रेंस भी किया था। केंद्र को इस संबंध में पत्र लिखा था कि और कहा था कि इसे शेड्यूल 9 में डाल दिया जाए, ताकि यह सुरक्षित रहे। लेकिन अब तक 9 महीने हो चुके हैं, लेकिन भाजपा और केंद्र सरकार ने इस काम को पूरा नहीं किया। अब पता नहीं क्यों मुख्यमंत्री ने पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है। हम लोगों ने लगातार इसे लेकर ना जाने कितनी ही लड़ाइयां लड़ीं, संघर्ष किया। इसके बाद हमारी सरकार ने आरक्षण बढ़ाया, लेकिन आप देखिए कि बीजेपी के आते ही कैसे आरक्षण को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है, मगर हम लोग इस प्रयास को सफल नहीं होने देंगे।“
प्रधानमंत्री के पैर पकड़कर इसे शेड्यूल 9 में डलवाने का काम करें उन्होंने आगे कहा, “हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि आपने कई बार प्रधानमंत्री के पैर पकड़े हैं। इस बार भी आप एक बार प्रधानमंत्री के पैर पकड़कर इसे शेड्यूल 9 में डलवाने का काम करें। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो हम चाहते हैं कि बिहार के सभी दल एकजुट होकर प्रधानमंत्री से मिले और इस संबंध में विस्तार से चर्चा करे। हम लोग मिलकर इसे अनुच्छेद 9 में डलवाने का काम करेंगे। इस बात की पैरोकारी हम हमेशा से ही करते आए हैं कि जिसकी जितनी आबादी है, उसे उतना हक मिलना चाहिए। मैं एक बात कह देना चाहता हूं कि अगर बिहार सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी, तो राष्ट्रीय जनता दल जरूर जाएगा। हम सोच रहे हैं कि इस मामले में अब मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग करें कि आप प्रधानमंत्री से मिलकर इसे अनुच्छेद 9 में डलवाने का प्रयास करें।“