PM मोदी की लीडरशिप में BJP को पहली बार मिला पूर्ण बहुमत, बने सबसे अधिक दिनों तक सत्ता में रहने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री
PM Modi: 26 मई 2014 को जो शुरुआत हुई थी, वो आज तक जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदार दास मोदी सबसे कामयाब राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी को 10 साल तक लगातार जीत दिलाते आए हैं।
भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अक्सर ये दावा करता है कि बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है। और आज अगर वो इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं तो वह किसी और की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की वजह से संभव हो पाया है। बीजेपी का ये दांवा कुछ हद तक सही भी है। क्योंकि 2014 में पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान जब प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में आई तो लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ऐतिहासिक रहे, एक का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन और दूसरे का सबसे खराब प्रदर्शन।
2019 में बीजेपी ने तोड़ा खुद का रिकॉर्ड भाजपा ने 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल कर स्वतंत्र भारत के 67 साल के इतिहास में जादुई संख्या को पार करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनकर इतिहास रच दिया। इसने उत्तर प्रदेश में अपनी सबसे बड़ी छाप छोड़ी। 2009 के चुनाव में यूपी में केवल दस सीटें जीतने वाली पार्टी ने 2014 में 80 में से 71 सीटें हासिल कीं। वहीं कांग्रेस अपने निचले स्तर पर पहुंच गई। इसके बाद 2019 में हुए आम चुनाव में बीजेपी ने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर 303 सीटें जीती और NDA गठबंधन 353 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में पहुंचा।
बने सबसे अधिक दिनों तक सत्ता में रहने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास सबसे अधिक दिनों तक पद पर रहने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है। प्रधानमंत्री मोदी से पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी के सभी कार्यकाल की कुल अवधि 2268 दिन की थी। देश की सबसे ज्यादा समय तक सेवा करने के तीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह हैं, ये तीनों ही कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैंष। दिल्ली आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी बखूबी संभाली।
2014 में 17 तो 19 में 23 करोड़ मतदाताओं ने बीजेपी को चुना 26 मई 2014 को जो शुरुआत हुई थी, वो आज तक जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदार दास मोदी सबसे कामयाब राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी को 10 साल तक लगातार जीत दिलाते आए हैं। ये सफर अभी थमा नहीं है। 2014 में भारत में 82 करोड़ मतदाता थे। यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को मिला दे तो, ये संख्या उनकी पूरी आबादी है. इनमें से करीब 55 करोड़ ने वोट डालेय़ इनमें से 17 करोड़ मतदाताओं ने बीजेपी को चुना। वहीं, 2019 में भारत में 91 करोड़ मतदाता थे। यानी यूरोप, रूस और ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी के बराबर मतदाता। 2019 के चुनाव में बीजेपी को अगले 23 करोड़ वोट मिले, जो उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक लोगों की छह कतारों के बराबर है।
मोदी मतलब बीजेपी के लिए जीत की गारंटी दो साल पहले नलिन मेहता की किताब ‘द न्यू बीजेपी’ बताती है कि मोदी की चुनावी जीत सिर्फ़ प्रचार और उत्साह के बल पर नहीं बल्कि, जातिगत गणित की गहरी और वैज्ञानिक समझ के हिसाब से उसके प्रबंधन का नतीजा है। इन अध्यायों में राज्य और ज़िले के स्तर पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के प्रतिनिधित्व की कुल संख्या की चर्चा है। ये हैरानी की बात नहीं कि बीजेपी गैर-जाटव दलितों को लुभाने की कोशिश करती है, जो बीएसपी के पारपंरिक वोटर हैं या यदुवंशियों के एक हिस्से को, जो पारंपरिक तौर पर सपा के वोटर रहे हैं।
2014 में, भारत के सबसे घनी आबादी वाले राज्य यूपी में बीजेपी को 80 में 70 से ज़्यादा सीटें मिलीं। 2019 में जब सपा-बसपा एक होकर लड़े थे, तब भी बीजेपी 60 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। यही कहानी राज्य दर राज्य दोहराई जा रही है। कुछ राज्यों में पार्टी कामयाब है, कुछ में नहीं। लेकिन हा ये कहना की प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिती बीजेपी के लिए एक तरह से जीत की गारंटी मानी जाती है।
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