इनहैंड सैलरी घट जाएगी
जानकारों का कहना है कि वेतन सीमा बढ़ाने से सरकार और निजी क्षेत्र दोनों पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ जाएगा, क्योंकि इससे नियोक्ता की ओर से ईपीएफ और ईपीएस में किया जाने वाला योगदान काफी बढ़ जाएगा। इससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलेगी, पर उनकी टेकहोम सैलरी यानी इनहैंड सैलरी घट जाएगी।यह होगा असर
नियोक्ता की ओर से किए गए योगदान का 69.4त्न ईपीएस (कुल बेसिक सैलरी का 8.33त्न) में जाता है। वहीं 30.5त्न यानी कुल बेसिक सैलरी का 3.67त्न ईपीएफ अकाउंट में जाता है। ईपीएफओ के लिए अभी बेसिक सैलरी की सीमा 15,000 रुपए होने से कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में अधिकतम योगदान 1250 रुपए है, जो बेसिक सैलरी 21,000 रुपए होने पर बढक़र 1749 रुपए हो जाएगा। इससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलेगी। पीएफ खाते में जाने वाली योगदान भी बढ़ जाएगा। लेकिन टेकहोम सैलरी घट जाएगी।पेंशन कवरेज का दायरा बढ़ेगा
ईपीएफ नियमों के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी अभी 15,000 रुपए से अधिक है तो वे ईपीएस से नहीं जुड़ सकते, भले ही वो ईपीएफ स्कीम से जुड़े हों। लेकिन अगर ईपीएफओ के लिए वेज लिमिट को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए या 25,000 रुपए कर दिया जाता है तो वैसे कर्मचारी भी ईपीएस योजना से जुड़ पाएंगे, जिनकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपए से अधिक है। ऐसे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकेगी। लाखों श्रमिकों को होगा लाभ अधिकारियों ने बताया कि यदि सरकार अधिक से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना चाहती है तो उसे इस दिशा में आगे बढऩा होगा। अनुमान है कि बढ़ी हुई वेतन सीमा से लाखों श्रमिकों को लाभ होगा, क्योंकि अधिकांश राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपए के बीच है। अभी की 15,000 वेतन सीमा की वजह से ऐसे कर्मचारी पेंशन, बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो जाते हैं।