जज ने कहा, ‘महिला खर्च के तौर पर हर महीने 6,16,300 रुपए चाहती है। उसे सिर्फ पति की कमाई के आधार पर भरण-पोषण नहीं दिया जाएगा। पति की कमाई 10 करोड़ रुपए होगी तो क्या उसे भरण-पोषण के तौर पर पांच करोड़ रुपए देगा? कोर्ट सौदेबाजी की जगह नहीं है। महिला को वास्तविक खर्चों के बारे में बताना चाहिए।’ मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।
वकील की दलील-सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा खर्च के लिए 60 हजार रुपए
महिला के वकील ने दलील दी कि भोजन पर याचिकाकर्ता का खर्च 40,000 रुपए प्रति माह है। महिला का पति 10,000 रुपए की टी-शर्ट पहनता है। महिला को पुराने कपड़े पहनने को मजबूर किया जाता है। उसे हर महीने कपड़ों के लिए 50 हजार, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा खर्च के लिए 60 हजार रुपए की जरूरत है।
यह है मामला
पारिवारिक अदालत ने महिला के लिए 50,000 रुपए का मासिक भरण-पोषण मंजूर किया था। महिला ने इसमें बढ़ोतरी की मांग करते हुए हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि उसका महीने का खर्च छह लाख रुपए से ज्यादा है। इसी हिसाब से भरण-पोषण मिलना चाहिए। प्रतिवादी वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला ने शेयरों में 63 लाख रुपए का निवेश कर रखा है।