मजबूर होकर उठाया यह कदम
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमें यह कदम उठाने के लिए मजूबर होना पकड़ा। हमने पहले ही नोटिस दे दिया है। विपक्ष इस संवेदनशील मुद्दे पर एक साथ खड़ा होकर बोलने के लिए यहां है। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि अध्यक्ष ने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा। तीन साल तक उन्होंने हमें महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के लिए न तो समय दिया और न ही स्थान दिया।
‘विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि सदन में विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है। सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए है। सभापति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सभापति दूसरों को सबक सिखाते हैं और स्वयं बार-बार व्यवधान उत्पन्न करते हैं। यह देखा जा सकता है कि सदन बंद करने की कोशिश सत्ता पक्ष और सभापति की ओर से ज्यादा होती है।
सभापति सत्ता पक्ष और PM का करते हैं गुणगान
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा आमतौर पर विपक्ष चेयरमैन से प्रोटेक्शन मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं। लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं। जब विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, तो सभापति सत्ता पक्ष के जवाब देने से पहले ही उनकी ढाल बनकर खडे़ रहते हैं।