जम्मू सीट पर पिछले दस साल से भाजपा के जुगल किशोर का कब्जा है। उनके सामने कांग्रेस के रमन भल्ला, बहुजन समाज पार्टी के जगदीश राज, नेशनल पैंथर्स पार्टी (भीम) के नरेश कुमार सहित 18 अन्य उम्मीदवार राजनीतिक भाग्य आजमा रहे हैं। जुगल किशोर के पास दस साल के केन्द्र सरकार के काम काज का सहारा है और पार्टी के स्टार प्रचारकों की रैलियों के दम पर वे हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं। रमन भल्ला दो बार विधायक रह चुके हैं। वे पुराने काम और अपने व्यवहार के बूते राजनीतिक रण को बराबरी पर लाने के लिए ताकत झोंक रहे हैं। यहां दूसरे चरण में 26 अप्रेल को वोट डाले जाएंगे, लेकिन अभी मतदाताओं ने चिनाब और तवी दरियाओं की तरह शांति धारण कर रखी है।
जम्मू, सांबा और रियासी जिले में फैले इस लोकसभा क्षेत्र में चुभने वाली गर्मी है। दिन का पारा 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है लेकिन फिर भी सियासी ठंडक डोडा से लौटते समय तवी नदी पर बने पुल से जम्मू में प्रवेश करते ही महसूस होने लगती है। पुल से शहर दो भागों में बंटा दिखाई देता है। टैक्सी ड्राइवर निर्मल सिंह बताते हैं कि शहर को जोड़ने के लिए ऐसे चार पुल बनाए गए हैंँ। उत्तर दिशा में नदी के दायीं ओर पुराना शहर है। इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैँ। बांयी ओर टीलों पर बसी नई आबादी है। यहां मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय तथा कई शैक्षिक संस्थान हैं। चुनाव की बात करने पर वे कहते हैं….सबने ठंड पी रखी है। कारण पूछने पर जवाब आया…शुरू से भाजपा जीतती आ रही है। उनकी बात का समर्थन पुराने शहर में ज्वैलरी के व्यापारी आकाश चौहान भी करते हैं। वे बोले, विपक्ष के पास ऐसी कोई “चीज” नहीं है कि हम आकर्षित हो सकें। कश्मीर और पाकिस्तान के विस्थापितों के लिए बसाए गए न्यू प्लॉट क्षेत्र निवासी और सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी विजय शर्मा कहते हैँ…जनता में इम्प्रेशन ऐसा है कि मोदी ही आएगा।
शहर में एक पार्टी की तरफ कथित बयार बहने के कारण भी गिनाए जा रहे हैं। चालीस साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए टेंट व्यवसायी सुभाष शर्मा ने बताया कि वर्ष 2022 के परिसीमन के बाद यह पहला चुनाव है। पुंछ और राजोरी जिले को जम्मू सीट से निकालकर अनंतनाग सीट में जोड़ दिया है। रियासी जिला जम्मू सीट में जोड़ा है। यहां हिन्दुओं का बहुमत है। इसका फायदा तो मिलना ही है।
शहर और गांव की जनता से बातचीत के अतिरिक्त किसी भी तरह पता नहीं चल रहा कि यहां चुनाव हो रहे हैँ। ना दीवारों पर पोस्टर चिपके हैँ। ना ही बैनर और झंडियां दिखाई देती हैंँ। प्रचार के लिए भोंपू लगे वाहन भी दौड़ते हुए नजर नहीं आए। रधुनाथ मंदिर में दर्शन के बाद जब कपड़ा व्यापारी भोलाराम से चुनावी माहैाल पर चर्चा की तो बोले, रघुनाथ बाजार में करीब 300 दुकानें हैं। दस बीस को छोड़ दो। फिर शायद ही कोई गैर भाजपाई मिले। भाजपा उम्मीदवार जुगल के बारे में पूछने पर बोले…कैडिडेट कभी दिखाई ही नहीं दिया। वोट तो पार्टी को पड़ने हैं। ड्राईफ्रूूट व्यापारी हुकुम चंद हों या फिर इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के दुकानदार हरीश, सब ‘ एक बार फिर मोदी सरकार’ का राग अलाप रहे हैं।
शहर से निकलकर सीमावर्ती अखनूर, आर एस पुरा की ओर रूख किया तो सड़क के दोनों ओर खेतों में गेहूं की सुनहरी फसल लैलहा रही है। अखनूर चिनाब नदी के दोनों ओर बसा हुआ है। ये पूरा क्षेत्र खुशबुदार बास्मती चावल के लिए भी प्रसिद्ध है। फसल अच्छी होने की खुशी लोगों के चेहरे पर झलक रही है। चुनावी मुद्दों पर बात करने पर पन्द्रह एकड़ जमीन के मालिक शमशेर सिंह बोले…कोई मुद्दा वुद्दा नही है। पहले मिलिटेंसी से परेशान थे। मोदी जी ने शांति बहाली की है। उनको बदलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। अखनूर में भारत-पाक सीमा से पांच सौ मीटर पहले गरखल गांव के शशि पाल सिंह ने बताया, दस साल पहले तक गांव की सड़क पर खड़े नहीं हो सकते थे। पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग होती थी। अब शांति है। मोदी ने गरीबों को आवास, मुफ्त राशन, किसानों को फसलों के लिए पैसा दिया है। वोट तो उन्हीं को देंगे। राजेन्द्र कुमार को मुकाबला बराबर का लग रहा है। वे कहते हैं… भाजपा के घोषणा पत्र में महंगाई व बेरोजगारी का जिक्र नहीं है। अग्निवीर योजना से सेना का मजाक बना डाला। विपक्ष का मजाक उड़ाया जा रहा है। ये कहां की पॉलिटिक्स है।
मुद्दे विहीन चुनाव की झलक जम्मू सीट में शामिल किए गए रियासी जिले में भी देखने को मिली। माता वैष्णो देवी के द्वार कटरा से लेकर चिनाब नदी पर बनाए गए विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज तक मतदाताओं के मन में एक जैसे विचार घर किए बैठे हैं कि धारा 370 हटने के बाद शांति बहाली जरूर हुई है लेकिन स्थानीय निवासियों को मिल रही सुविधाएं घटने से बेरोजगारी बढ़ गई है। रेल नेटवर्क और सड़कों का जाल बिछने से यहां आने वाला टूरिस्ट अब घाटी की ओर बढ़ रहा है। इससे कहीं ना कहीं काम धंधा कम हो रहा है।