केंद्र ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके संस्थापकों, योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आयुष या एलोपैथिक चिकित्सा के तहत स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना एक व्यक्ति की पसंद है और किसी भी प्रणाली की निंदा को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि विज्ञापन कानून के दायरे में आता है।
पतंजलि के हलफनामे को इस वजह से कोर्ट ने ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पतंजलि द्वारा दायर माफी को इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि कोर्ट को उनके माफीनाफे में भूल को स्वीकार करने की बजाय दिखावे का अहसास ज्यादा पाया गया। इसके बाद कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को नए हलफनामे के साथ आज कोर्ट में पेश होने को कहा था। रामदेव आज सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र ने अपनी आंखें बंद रखने का फैसला क्यों किया?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई कड़े सवाल भी पूछे थे। कोर्ट ने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि हम आश्चर्यचकित हैं कि सरकार ने अपनी आंखें बंद रखने का फैसला क्यों किया?” केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि जादुई उपचार का दावा करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य अधिकृत प्राधिकारी हैं। हालांकि, केंद्र ने कानून के मुताबिक समय पर इस मामले को उठाया था। केंद्र ने अपने हलफनामे पतंजलि के इस दावे का जिक्र करते हुए कहा कि कंपनी ने कोविड-19 के इलाज के लिए एक दवा कोरोनिल विकसित की लेकिन कंपनी को तब तक ऐसे विज्ञापन नहीं देने के लिए कहा गया था जब तक इस मामले की आयुष मंत्रालय द्वारा जांच पूरी नहीं कर ली जाती है।
केंद्र ने कोविड के इलाज के झूठे दावों पर की थी सख्ती
केंद्र के जवाब में कहा गया है कि एक विस्तृत प्रक्रिया के बाद राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचित किया गया था कि कोरोनिल टैबलेट को “केवल कोविड-19 में सहायक उपाय के रूप में माना जा सकता है”। इसमें यह भी कहा गया है कि केंद्र ने कोविड के इलाज के झूठे दावों के संबंध में सक्रिय कदम उठाए हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड उपचार के लिए आयुष संबंधी दावों के विज्ञापनों को रोकने के लिए कहा गया है।
आयुष या एलोपैथी में से किस प्रणाली का लाभ लेना है, यह मरीज की इच्छा: केंद्र
केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि उसकी मौजूदा नीति “एलोपैथी के साथ आयुष प्रणालियों के एकीकरण के साथ एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली” के एक मॉडल की वकालत करती है। आयुष प्रणाली या एलोपैथिक चिकित्सा की सेवाओं का लाभ उठाना किसी व्यक्ति या स्वास्थ्य देखभाल चाहने वाले की पसंद है। सरकार समग्र तरीके से अपने नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की ताकत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
IMA ने पतंजलि के खिलाफ दायर की थी याचिका
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