क्या था मामला
पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में 30 साल से फैसले का इंतजार कर रहे व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मिनट में दोषमुक्त कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए अफसोस जताया कि यदि आरोपी को बरी करने में 30 साल लग जाएं तो देश की न्याय प्रणाली ही उसके लिए सजा बन सकती है। व्यक्ति की पत्नी ने 1993 में आत्महत्या कर ली थी। एफआइआर दर्ज होने के बाद 1998 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया। फैसले के विरुद्ध उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा, आइपीसी की धारा 306 के तहत किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए अपराध करने की मंशा स्पष्ट होनी चाहिए।