दूसरे शहद से गाढ़ा और रंग गहरा
सूरत जिला वन विभाग के डीसीएफ आनंदकुमार के मुताबिक, औषधीय गुणों से भरपूर फूलों के उपयोग के लिए मधुमक्खियों के बॉक्स रखवाए गए हैं। इन फूलों से मधुमक्खियां शहद का संग्रह करेगी। साथ ही इनका अन्य स्थलों पर परागण भी करेगी, जिससे यह फूल आसपास के क्षेत्रों में और अधिक मात्रा में उगेंगे। जंगली मधुमक्खी द्वारा एकत्र कारवी शहद अन्य किस्म के शहद की तुलना में अधिक गाढ़ा और गहरा रंग होता है और पेट की बीमारियों को दूर करने में उपयोग लिया जाता है। यह भी पढ़ें
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स्ट्रोबिलैन्थेस की 350 किस्मों में 46 भारत में
यह फूल स्ट्रोबिलैन्थेस प्रजाति के हैं, जिसका वैज्ञानिक वर्णन पहली बार 19वीं सदी में किया गया था। इस प्रजाति की लगभग 350 किस्म पाई जाती है, जिनमें से कम से कम 46 किस्म भारत में मिलती है। स्ट्रोबिलैन्थेस कैलोसस के तने मजबूत होते हैं, जिनका उपयोग इसकी पत्तियों के साथ आमतौर पर स्थानीय आदिवासी अपनी झोपडिय़ों के निर्माण में छप्पर सामग्री के रूप में भी करते हैं। यह भी पढ़ें
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औषधीय महत्व भी कारवी पौधे का उपयोग स्थानीय आदिवासी और ग्रामीण सूजन संबंधी विकारों के इलाज के लिए एक पारंपरिक औषधीय पौधे के रूप में करते हैं। कुचली हुई पत्तियां और इसका रस पेट की बीमारियों के लिए अचूक इलाज माना जाता है। यह पौधा वैज्ञानिक शोध का विषय है, जिसे देसी चिकित्सा में सूजन-रोधी और रोगाणुरोधी हर्बल दवा के रूप में उपयोगी माना जाता है।