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राष्ट्रीय

अब SC और ST में बनेगी Creamy Layer की सब कैटेगरी, उच्चतम न्यायालय ने दी आरक्षण के अंदर आरक्षण को मंजूरी

1975 में पहली बार पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति के सब कैटेगरी बनाई थी। एक बाल्मीकि समाज के लिए और एक मजहबी सिख समाज के लिए। 30 साल तक यह नियम लागू रहा। 2006 में उच्च न्यायालय ने इसे रदद कर दिया।

नई दिल्लीAug 01, 2024 / 01:37 pm

Anand Mani Tripathi

उच्चतम न्यायालय ने 2004 के फैसले को पलट दिया है। सात जजों की पीठ ने 6-1 के बहुमत से आदेश पारित करते हुए कहा है​ कि मूल और जरूरत मंद को लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण कोटे में भी सब कैटेगरी बनाई जा सकती है। इसका प्रभाव अब यह होने जा रहा है कि इसमें भी अब क्रीमी और नॉन क्रीमी लेयर कैटेगरी बन सकती है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के इस फैसले से अब इन जातियों में समानता लाने का प्रयास होगा। इससे आरक्षण का लाभ उसी वर्ग में उसी जाति के निचले पायदान तक जाएगा। आरक्षण में आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय ने आंध्रप्रदेश के एक मामले में 2004 में फैसला देते हुए कहा था कि आरक्षण के भीतर आरक्षण देने का अधिकार राज्यों के पास नहीं है।

पंजाब से शुरू की थी कवायद

1975 में पहली बार पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति के सब कैटेगरी बनाई थी। एक बाल्मीकि समाज के लिए और एक मजहबी सिख समाज के लिए। 30 साल तक यह नियम लागू रहा। 2006 में उच्च न्यायालय ने इसे रदद कर दिया। पंजाब सरकार ने 2010 में फिर कानून बनाया। फिर रदद कर दिया। 2020 में उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश मामले में कहा कि इस पर विचार होना चाहिए। इसके बाद फिर मुख्य न्यायाधीश ने सात जजों की एक बेंच बना दी।

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