दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की दलील मानते हुए सत्येंद्र जैन की दलीलों को दरकिनार कर दिया और उन्हें ईडी के सवालों के दौरान वकील को साथ नहीं रखने को कहा गया है।
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दरअसल उच्च न्यायालय के सामने सत्येंद्र जैन के वकील कपिल सिब्बल की दलील भी काम नहीं आई है। सिब्बल ने दलील दी थी कि, जैन अगर इस मामले में आरोपी नहीं सिर्फ संदिग्ध हैं तो ईडी ने हिरासत में कैसे लिया?
यही नहीं सिब्बल ने कहा कि, अगर आरोपी हैं तो उन्हें पूछताछ के दौरान वकील की उपस्थिति और सलाह की सुविधा आम आरोपी की तरह दी जानी चाहिए। हालांकि हाई कोर्ट ने उनकी दलीलों को भी खारिज कर दिया।
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा है कि, इस केस में कोई FIR या शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। ऐसे में हिरासत में लिए आरोपी को मिलने वाली सुविधा नहीं मिल सकती।
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