वर्ष 2014 में भाजपा केंद्र में नरेंद्र मोदी की लहर में सवार हुई। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में मजबूती से जीत दर्ज करके दोबारा सत्ता में आई। अब 2024 में कुछ महीने बाद लोकसभा का चुनाव होना है और आलम ये है कि पिछले 5 सालों में ही इनके दिग्गज और पार्टी के वफादार कहे जाने वाले नेता ही कांग्रेस का ‘हाथ’ छुड़ाकर विदा हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि कांग्रेस की केंद्र में वापसी को लेकर आश्वस्त नहीं होने की वजह से पार्टी की जहाज से कौन-कौन बाय-बाय बोल चुके हैं।
मिलिंद ने लगाया ये आरोप…
कांग्रेस के दिग्गज नेता मुरली देवड़ा के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने रविवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आज ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने हाल ही में विपक्षी गठबंधन के एक हिस्से उद्धव ठाकरे गुट द्वारा मुंबई दक्षिण सीट से चुनाव लड़ने का दावा करने पर नाराजगी व्यक्त की थी। मिलिंद ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उद्योगपतियों को गाली देती है।
हार्दिक को राहुल पार्टी में लेकर आए लेकिन…
गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मई 2022 में अपने त्याग पत्र के साथ राहुल गांधी को नाराज करते हुए कांग्रेस छोड़ दी। राहुल ने उन्हें 2019 में पार्टी में शामिल कराया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था- शीर्ष नेता, “अपने मोबाइल फोन से विचलित थे” और गुजरात कांग्रेस को उनके लिए “चिकन सैंडविच” सुनिश्चित करने में अधिक दिलचस्पी थी। एक महीने बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए।
इस नेता ने पंजाब चुनाव से पहले छोड़ा ‘हाथ’
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से कुछ दिन पहले फरवरी 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। अश्विनी कुमार पार्टी के एक अनुभवी नेता थे। वह 2019 के चुनावों में हार के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले वरिष्ठ यूपीए कैबिनेट मंत्री थे।
चन्नी की आलोचना पर सुनील जाखड़ को मिला था नोटिस
सुनील जाखड़ जिन्होंने पंजाब कांग्रेस इकाई का नेतृत्व किया था, ने 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के लिए नेतृत्व द्वारा कारण बताओ नोटिस के बाद पार्टी छोड़ दी। वह मई में भाजपा में शामिल हुए और उसी साल जुलाई में उन्हें इसकी पंजाब इकाई का प्रमुख बनाया गया।
यूपी चुनाव से पहले आरपीएन सिंह ने ली पार्टी से विदाई
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह जनवरी 2022 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले ऐसा करने वाले सबसे प्रमुख नेता बन गए। पिछड़ी जाति के प्रमुख नेता श्री सिंह कथित तौर पर प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाले यूपी अभियान में दरकिनार किए जाने से नाराज थे।
राहुल के दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में पार्टी छोड़ी
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी और 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। उनके पार्टी छोड़ने से बड़े पैमाने पर दलबदल हुआ और मध्य प्रदेश में तत्कानी कमल नाथ सरकार गिर गई और राज्य में शिवराज सिंह चौहान को वापस सत्ता में आने में मदद मिली। सिंधिया अब एक केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं।
जितिन ने छोड़ा साथ और कहा-‘सिर्फ बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी’
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद जो कभी राहुल गांधी के करीबी थे, उत्तर प्रदेश चुनाव से एक साल पहले 2021 में भाजपा में शामिल हो गए। वह यूपी में कांग्रेस के शीर्ष ब्राह्मण चेहरे थे। अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था, ‘भाजपा एकमात्र वास्तविक राजनीतिक पार्टी है। यह एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। बाकी क्षेत्रीय हैं।’
अल्पेश ने अपनी ही पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ डाला था मत
कांग्रेस के पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर ने जुलाई 2019 में दो राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद पार्टी छोड़ दी। कुछ दिनों बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें राधापुर से उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा गया लेकिन वह सीट हार गए। पिछले साल हुए चुनाव में उन्होंने गांधीनगर दक्षिण से जीत हासिल की थी।
बेटे के कांग्रेस छोड़ने पर दुखी हुए थे पिता
कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने पिछले साल जनवरी में पार्टी छोड़ दी और अगले महीने भाजपा में शामिल हो गए, और भारत को अग्रणी स्थान पर लाने के लिए बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण रखने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अपने बेटे के फैसले पर दुख और निराशा व्यक्त की थी।
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