दरअसल, कोरोना महामारी से पहले सुलभ होप फाउंडेशन और वृंदावन की हजारों विधवाओं की ओर से कुछ महिलाएं पीएम मोदी को रक्षाबंधन पर राखी बांधने जाती थीं। वहीं पिछली साल कोरोना महामारी के चलते वे पीएम मोदी को राखी नहीं बांध सकीं। वहीं इस बार भी वे पीएम मोदी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर राखी नहीं बांध पाएंगी।
पुराने दिनों को याद कर रही पीएम की बहनें फाउंडेशन की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने याद किया कि कोरोना महामारी से पहले, हजारों विधवाओं की ओर से, चार-पांच मां विधवाएं मोदी को राखी और मिठाई की टोकरियां भेंट करने के लिए दिल्ली आती थीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा महामारी ने उन्हें निराश कर दिया है, लेकिन इससे उनका हौसला नहीं टूटा। इसलिए उन्होंने मोदी के लिए राखी और विशेष वृंदावन-थीम वाले मास्क तैयार करना शुरू कर दिया।
पीएम मोदी को भेजी हाथ से बनी राखियां विधवाओं की मदद करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मंदिरों के शहर में रहने वाली वृद्ध विधवाओं के एक समूह द्वारा तैयार की गई कुल 251 राखियां प्रधानमंत्री को भेजी गई हैं। सुलभ होप फाउंडेशन ने कहा कि राखियों में प्रधानमंत्री की रंगीन तस्वीरें हैं और उनमें से कई में महामारी और मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के प्रति सावधानी बरतने का संदेश है।
कुछ विधवाओं ने एक भाई और एक बहन के बीच के बंधन के प्रतीक त्योहार के दिन रविवार को उन्हें भेंट करने के लिए सूती मास्क भी तैयार किए हैं। 77 वर्षीय उषा दासी, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री को राखी बांधी थी, ने कहा कि वह पिछले पांच महीनों से आश्रम के अंदर अपने दिन बिता रही हैं, लेकिन खुश हैं कि उनकी राखी और मास्क मोदी को भेजे गए हैं। उन्होंने कहा, मैंने व्यक्तिगत रूप से ‘सुरक्षित रहें’ और ‘आत्मनिर्भर’ जैसे संदेश वाले विशेष मास्क डिज़ाइन किए हैं और राखी में मोदी जी की तस्वीर बनी हुई है।