अक्टूबर 2022 में कैद कर लिया गया था
इससे पहले, कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता के बाद जेल में बंद भारतीय नौसेना के कर्मियों की मौत की सजा को कारावास में बदल दिया गया था। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कतर में कैद आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों में से सात भारत लौट आए हैं।
अंतिम रिहा किए गए कर्मी को घर लाने की व्यवस्था की जा रही है। आठ भारतीय नागरिक, जो पहले भारतीय नौसेना के कर्मी थे, को कथित रूप से जासूसी करने के आरोप के बाद अक्टूबर 2022 में कतर में कैद कर लिया गया था। भारतीय नागरिकों को कतर की अदालत ने जासूसी का दोषी माना था, और मौत की सजा सुनाई थी।
इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि अदालत का फैसला “बेहद चौंकाने वाला” था, और कहा कि वे भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मियों के खिलाफ आरोपों को हटाने के लिए सभी कानूनी विकल्प तलाशेंगे। मामले में पिछले साल एक बड़ा परिवर्तन तब आया, जब कतर की अदालत ने भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद भारतीय नागरिकों की मौत की सजा को कम कर कारावास की सज़ा में बदल दिया गया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सभी पूर्व नौसैनिकों के परिवारों से मुलाकात भी की थी। उनका कहना था कि सरकार मामले को सर्वोच्च महत्व देती है। परिवारों की चिंता और दर्द को समझती है। साथ ही भारत सरकार इनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है।
पीएम मोदी की तारीफ
देश लौटे एक पूर्व नौ सैनिक ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए यहां खड़ा रहना संभव नहीं था, यह भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण हुआ।” वहां गिरफ्तार किए गए इन पूर्व नौसैनिकों के नाम हैं, कैप्टेन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, सुगुनकर पकाला और सेलर रागेश।