कैसे बाहर गया था सोना
संजीव सान्याल ने आगे कहा, “1990-91 के दौरान विदेश में सोना भेजना हमारी पीढ़ी के लिए विफलता थी और उसे कभी नहीं भूला जा सकता। इस कारण से विदेश से वापस सोना आना काफी स्पेशल है। 1991 में जब देश संकट में था और आयात करने के पैसे नहीं थे। तब की चंद्रशेखर सरकार ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान में 46.91 टन सोना गिरवी रखकर 400 मिलियन डॉलर उधार लेने का फैसला किया था।” RBI की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2024 तक केंद्रीय बैंक के पास 822.10 टन सोना है। पिछले साल समान अवधि में ये आंकड़ा 794.63 टन पर था। सोने में निवेश सुरक्षित होने के कारण अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह RBI भी इसमें निवेश करता है। देश की मुद्रा को स्थिर रखने में भी सोने का काफी महत्व होता है। वैश्विक अस्थिरता और बढ़ती हुई महंगाई की स्थिति में सोना एक हेज के रूप में कार्य करता है। अप्रैल 2024 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो गई है जो कि दिसंबर 2023 में 7.75 प्रतिशत पर थी।