दो तरह से काटा जाएगा टोल
सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि गाड़ियों का टोल दो तरह से काटा जाएगा। सबसे पहला माध्यम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) होगा। इसमें जीपीएस ट्रैक कर टोल काटा जाएगा। इसके अलावा हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) के जरिए भी टोल की वसूली होगी। इन दोनों तरीकों से दूरी के हिसाब से टोल काट लिया जाएगा।
सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि गाड़ियों का टोल दो तरह से काटा जाएगा। सबसे पहला माध्यम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) होगा। इसमें जीपीएस ट्रैक कर टोल काटा जाएगा। इसके अलावा हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) के जरिए भी टोल की वसूली होगी। इन दोनों तरीकों से दूरी के हिसाब से टोल काट लिया जाएगा।
ऐसे काम करेगा पूरा तंत्र
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्लाजा से 500 मीटर पहले और बाद में सेंसर लगाएंगे। यह नंबर प्लेट से वाहन का पता लगाएगा कि कौन से वाहन कहां से एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर चढ़ा और कहां से बाहर निकल गया। इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कई बार चर्चा कर चुके हैं लेकिन अब काम तेज हो गया है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्लाजा से 500 मीटर पहले और बाद में सेंसर लगाएंगे। यह नंबर प्लेट से वाहन का पता लगाएगा कि कौन से वाहन कहां से एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर चढ़ा और कहां से बाहर निकल गया। इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कई बार चर्चा कर चुके हैं लेकिन अब काम तेज हो गया है।
डेढ़ मिनट में प्लाजा पार
अभी किसी भी टोल प्लाजा को पार करने का औसत समय सात मिनट है। इस प्रणाली के बाद यह समय घटकर डेढ़ मिनट हो जाएगा। सरकार ने सभी गाड़ियों में जीपीएस अनिवार्य कर दिया है ऐसे में टोल व्यवस्था में भी आसानी होगी।
अभी किसी भी टोल प्लाजा को पार करने का औसत समय सात मिनट है। इस प्रणाली के बाद यह समय घटकर डेढ़ मिनट हो जाएगा। सरकार ने सभी गाड़ियों में जीपीएस अनिवार्य कर दिया है ऐसे में टोल व्यवस्था में भी आसानी होगी।
यहां लागू है ऐसी व्यवस्था
सड़क, परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस प्रणाली के जबरदस्त हिमायती हैं। वह लगातार प्रणाली को लागू करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि भारत से पहले जर्मनी, रूस, स्लोवाकिया, यूरोपियन देशों के साथ कई खाड़ी देशों में भी यह व्यवस्था पहले से लागू है।
सड़क, परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस प्रणाली के जबरदस्त हिमायती हैं। वह लगातार प्रणाली को लागू करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि भारत से पहले जर्मनी, रूस, स्लोवाकिया, यूरोपियन देशों के साथ कई खाड़ी देशों में भी यह व्यवस्था पहले से लागू है।
अभी लागू है फॉस्टटैग सिस्टम
सबसे पहले टोल प्लाजा पर कैश में टोल वसूली होती थी। इसमें लंबा जाम लगता था। इससे निपटने के लिए फास्टैग व्यवस्था आई। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरों की मदद से फास्टैग वॉलेट का बैलेंस चेक कर टोल काटा जाता है लेकिन इस व्यवस्था में भी तमाम सारी खामियां हैं। स्कैन नहीं होना और बैलेंस कम दिखाना सबसे बड़ी समस्या है।
सबसे पहले टोल प्लाजा पर कैश में टोल वसूली होती थी। इसमें लंबा जाम लगता था। इससे निपटने के लिए फास्टैग व्यवस्था आई। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरों की मदद से फास्टैग वॉलेट का बैलेंस चेक कर टोल काटा जाता है लेकिन इस व्यवस्था में भी तमाम सारी खामियां हैं। स्कैन नहीं होना और बैलेंस कम दिखाना सबसे बड़ी समस्या है।
वैश्विक स्तर पर टेंडर आमन्त्रित, 22 जुलाई तक देना होगा आवेदन
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल संचालन प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी, यात्रा को अधिक सुगम तथा सरल बनाने के वास्ते जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली विकसित करने के लिए वैश्विक स्तर पर अभिरुचि पत्र-ईओआई आमंत्रित किए हैं। एनएचएआई मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के तहत जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली के क्रियान्वयन की दिशा में तेजी से काम कर रहा है और इसके लिए टोल प्लाजा पर जीएनएसएस लेन बनाने की योजना है। ईओआई के जरिये उन्नत उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर काम करने वाली कंपनियों से अभिरुचि पत्र आमंत्रित किये गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह-ईटीसी के लिए इच्छुक कंपनियां से 22 जुलाई तक टेंडर मंगाए गए हैं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल संचालन प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी, यात्रा को अधिक सुगम तथा सरल बनाने के वास्ते जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली विकसित करने के लिए वैश्विक स्तर पर अभिरुचि पत्र-ईओआई आमंत्रित किए हैं। एनएचएआई मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के तहत जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली के क्रियान्वयन की दिशा में तेजी से काम कर रहा है और इसके लिए टोल प्लाजा पर जीएनएसएस लेन बनाने की योजना है। ईओआई के जरिये उन्नत उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर काम करने वाली कंपनियों से अभिरुचि पत्र आमंत्रित किये गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह-ईटीसी के लिए इच्छुक कंपनियां से 22 जुलाई तक टेंडर मंगाए गए हैं।