सियासी सफर
कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने 2004 के चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद, 2009 से यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वर्चस्व रहा है। निशिकांत दुबे ने 2009 और 2014 के चुनावों में पूर्व सांसद फुरकान अंसारी को हराकर संसद में जगह बनाई। बता दें कि निशिकांत दुबे ने 2009 में राजनीति में प्रवेश किया। राजनीति में आने से पहले वे कॉरपोरेट जगत से जुड़े थे और एस्सार कंपनी में कॉरपोरेट हेड के रूप में काम कर रहे थे। राजनीति में आते ही बीजेपी ने उन्हें 2009 के चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया।
जीवन
निशिकांत दुबे का जन्म 28 जनवरी 1969 को अविभाजित बिहार के भागलपुर जिले के भवानीपुर क्षेत्र में हुआ था। झारखंड राज्य बनने के बाद, उन्होंने गोड्डा को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया। निशिकांत दुबे ने अपनी स्कूली शिक्षा भागलपुर में ही पूरी की। मारवाड़ी कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने दिल्ली के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। कॉरपोरेट जगत में उनका करियर तेजी से आगे बढ़ा और वे एस्सार ग्रुप के कॉरपोरेट हेड बने। निशिकांत दुबे ने अपनी बचपन की दोस्त अनामिका गौतम से लव मैरिज की। लंबे समय तक साथ रहने के बाद दोनों ने शादी की। इस दंपति के दो बेटे हैं, जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रदीप यादव दे रहे चुनौती
झारखंड के गोड्डा से लगातार तीन मुकाबला जीत चुके भाजपा के निशिकांत दुबे इस बार चौका मारने की उम्मीद के साथ चुनावी मैदान में हैं। इस बार उन्हें रोकने के लिए कांग्रेस ने पहले दीपिका पांडेय को टिकट दिया, पर जब पार्टी को लगा कि निशिकांत के सामने वो चुनौती नहीं पेश कर पा रही हैं तो अंतिम समय में प्रत्याशी बदलते हुए यहां से लगातार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रदीप यादव को मैदान में उतार दिया। देखने वाली बात होगी कि निशिकांत दुबे को यादव हरा पाते हैं या नहीं?
जातीय समीकरण
गोड्डा लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों और मुस्लिम समुदाय की प्रमुखता है, जबकि आदिवासी, अनुसूचित जाति और सवर्ण मतदाता भी चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाजपा को अक्सर पिछड़ी जातियों और सवर्ण मतदाताओं का समर्थन प्राप्त होता है। दूसरी ओर, कांग्रेस को मुस्लिम और आदिवासी वोटों के साथ-साथ पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों की एकजुटता पर भरोसा है।