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क्या यूरोप की तरफ खिसक रहा भारत, सामने आया दुनिया का नया मैप

Indian Tectonic Plates: एक अध्ययन में टेकटॉनिक प्लेट से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। इसके तहत भारत अब यूरोप की तरफ खिसक रहा है।

Jun 10, 2022 / 08:10 am

Mahima Pandey

New Map Shows Indian Tectonic Plates moving towards eurasian plate

समय के साथ जमीन के भीतर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें खिसक रही हैं जिससे धरती की ऊपरी परत में भी भी बदलाव हो रहे हैं। इससे आने वाले भविष्य में महाद्वीपों का एक नया ही नक्शा देखे को मिलेगा। इन बदलावों का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने एक नया नक्शा जारी किया है। ये अध्ययन ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेस के लेक्चरर डॉ. डेरिक हैस्टरॉक और उनके सहयोगियों ने की है। इस नए अध्ययन के मुताबिक भारत यूरोप की तरफ खिसकता हुआ नजर आ रहा है। नए अध्ययन के मुताबिक, ये नया नक्शा टेकटॉनिक प्लेट की बॉउन्ड्रीस के कारण आने वाले भूकंप और ज्वालामुखी जैसे प्राकृतिक खतरों की बेहतर समझ प्रदान करने में मदद करेगा।
इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच कई माइक्रोप्लेट्स
इस नए मॉडल को बनाने वाली टीम के हेड डॉक्टर डेरिक हेस्टरोक ने कहा, “हमने प्लेटों की बॉउन्ड्री जोन और पुराने महाद्वीपीय क्रस्ट के ढांचे के निर्माण की तुलना की और उनका अध्ययन भी किया। ये प्लेटें हर बार पहेली की तरह जुड़ती और टूटती रहती हैं और नए नक्शे का निर्माण करती हैं।”

नए नक्शे में दो चीजें सामने आई हैं। पहली ये कि इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच कई माइक्रोप्लेट्स हैं जिसमें Macquarie माइक्रोप्लेट जोकि साउथ तस्मानिया में स्थित हैं, और Capricorn माइक्रोप्लेटस हैं। ये प्लेटस इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट को अलग करती हैं।

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भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा
दूसरा ये कि भारत के उत्तर में डिफ़ॉर्मेशन जोन बन रहे हैं क्योंकि इंडियन प्लेटस यूरेशिया में अपना रास्ता बना रही हैं। अर्थात भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा है। डॉक्टर डेरिक ने बताया कि टेकटॉनिक प्लेटस की बौंड़री जोन धरती के क्रस्ट का 16 फीसदी हिस्सा कवर करती है जबकि महाड़वेप 27 फीसदी हिस्सा कवर करते हैं।

इसी के आधार पर डॉक्टर डेरिक की टीम ने 3 नए जियोलॉजिकल मॉडल्स बनाए हैं जिसमें पहला मॉडल प्लेट से जुड़ा है, दूसरा प्रोविंस मॉडल है तो तीसरा ओरोगेनी मॉडल है।

ये पूरा अध्ययन अर्थ-साइंस रिव्यू जर्नल में प्रकाशित की गई है। उन्होंने आगे जानकारी दी कि नए टेकटॉनिक पलटेस पिछले दो मिलियन वर्षों के 90 प्रतिशत भूकंपों और 80 प्रतिशत ज्वालामुखियों के स्थानिक वितरण की बेहतर जानकारी देता है।

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