उल्लेखनीय हो कि तेलंगाना सरकार ने केंद्र से गुज़ारिश की है कि राज्य की ओबीसी में मौजूद 40 जातियों के नाम केंद्र की ओबीसी लिस्ट में भी जोड़े जाएं। आंध्र प्रदेश ने तुरुक कापू जाति और हिमाचल प्रदेश ने माझरा समुदाय का नाम केंद्र की सूची में शामिल करने की गुज़ारिश की है।
महाराष्ट्र सरकार ने लोधी, लिंगायत, भोयर पवार और झंडसे जातियों के नाम ओबीसी लिस्ट शामिल करने की मांग की है। इसके अलावा पंजाब ने यादव समुदाय और हरियाणा ने गोसाई (या गोसांई) समुदाय का नाम ओबीसी लिस्ट में जोड़ने की मांग की है। अलग-अलग राज्यों से मिली इन सभी सिफारिशों पर आयोग विचार कर रहा है।
केंद्र की OBC लिस्ट में कैसे शामिल होती हैं जातियां
केंद्र की ओबीसी लिस्ट में जातियों के शामिल होने की प्रक्रिया के बारे में NCBC के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि “अलग-अलग राज्यों से मिली सिफारिश पर आयोग विचार करेगा। हमने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है, उम्मीद है कि इन जातियों के नाम आगे बढ़ाए जा सकेंगे। इस बारे में फ़ैसला लेने के बाद आयोग कैबिनेट को अपनी सिफ़ारिश भेजेगा।”
ओबीसी लिस्ट में जातियों के शामिल करने के लिए NCBC कानून 1993 है। इसके अनुसार, लिस्ट में जातियों को जोड़ने की प्रक्रिया के तहत आयोग एक बेंच बनाती है जो इससे जुड़ी सभी गुज़ारिश पर विचार करती है। इसके बाद वो केंद्र सरकार को अपनी सिफ़ारिश भेजती है।
फिर केंद्र सरकार इस पर अपनी स्वीकृति देती है और लिस्ट में बदलाव को अमली जामा पहनाने के लिए क़ानून में ज़रूरी बदलाव करती है। इसके बाद इस बदलाव को आख़िरी स्वीकृति देने की ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति की होती है।
खबर से जुड़ा नॉलेज
केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों की ओबीसी लिस्ट में कुल 2,650 अलग-अलग जातियों के नाम शामिल हैं। साल 2014 यानी मोदी के सत्ता में आने के बाद इस लिस्ट में 16 समुदायों के नाम जोड़े गए हैं। मार्च 2023 तक की स्थिति के मुताबिक़ केंद्र की अनुसूचित जाति की लिस्ट में कुल 1,270 समुदायों के नाम शामिल हैं।
1979 में बने मंडल आयोग के अनुसार समुदायों की सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक मानदंडों के आधार पर एनसीबीसी इस मामले में विचार करती है और अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है।
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