इसलिए है खास
समुद्र के नीचे बनाई जा रही यह सुरंग मेट्रो ट्रेनों की सुरंग से अलग है। मेट्रो ट्रेनों के लिए सुरंग निर्माण के लिए 5-6 मीटर व्यास वाले कटर हेड लगी टीबीएम का इस्तेमाल होता है, वहीं यहां 13.1 मीटर व्यास वाले कटर हेड लगी टीबीएम का इस्तेमाल होगा। 16 किलोमीटर में खुदाई के लिए तीन टीबीएम का इस्तेमाल किया जाएगा। शेष 5 किलोमीटर के हिस्से की खुदाई न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से होगी। इस सुरंग के बन जाने के बाद यहां से बुलेट ट्रेन अपनी पूर्ण क्षमता से यानी 320 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ही चलेगी। ये अहम चुनौती
समुद्र के नीचे बन रही यह सुरंग एक सिंगल ट्यूब सुरंग होगी। इसमें बुलेट ट्रेन के आने और जाने के लिए दो ट्रैक बिछाए जाएंगे।
तीन जगह खुदाई
सुरंग बनाने के लिए घंसोली, शिल्फाटा और विक्रोली में खुदाई हो रही है। घंसोली में पहली टीबीएम अगले कुछ महीने में 39 मीटर गहराई में ठाणे क्रीक की ओर खुदाई शुरू कर देगी।
पानी में सुरंग कोलकाता और मुंबई मेट्रो के पास
अभी तक कोलकाता मेट्रो के पास हुगली नदी में पानी के नीचे ट्रेन सुरंग है। इसके अलावा मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की लाइन 3 है, जो बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और धारावी स्टेशनों को जोड़ते हुए मीठी नदी के नीचे जाती है।
फ्लेमिंगो अभयारण्य और मैंग्रोव वन को बचाया
इस परियोजना को भूमिगत ले जाने का मुख्य कारण ठाणे क्रीक में संरक्षित फ्लेमिंगो अभयारण्य और मैंग्रोव वन को बचाना शामिल है। इससे मुंबई जैसे स्थान की कमी वाले शहर में भूमि अधिग्रहण की चुनौती से बचने में भी मदद मिली। एनएचएआरसीएल ने खुदाई के लिए पर्याप्त ध्वनि और वायु प्रदूषण रोकथाम उपायों के साथ कई नियंत्रित विस्फोट करने का दावा किया गया है।