क्या होता है ला नीना
ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जो प्रशांत महासागर के सतही तापमान में सामान्य से ठंडे तापमान के कारण उत्पन्न होती है। जब ला नीना होती है, तो समुद्र का तापमान औसत से नीचे चला जाता है, जिससे विश्वभर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है। भारत के आईएमडी ने भी ला नीना के विकसित होने की पूर्ण संभावना जताई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, ला नीना का विकसित होना भारत के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है, विशेषकर कृषि और जल आपूर्ति के संदर्भ में। कुल मिलाकर, ला नीना के दौरान भारत में मौसम का पैटर्न अल नीनो की तुलना में अधिक अनुकूल हो सकता है।
जून माह से होगी ला नीना की शुरुआत
अमरीकी एजेंसी एनओएए का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में ला नीना से जुड़ी घटनाएं देखने को मिली हैं। इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में इसकी शुरुआत जून से हो जाएगी। एनओएए के मुताबिक ली नीना का इफेक्ट जून से अगस्त में 49 प्रतिशत और जुलाई से सितंबर में 69 प्रतिशत बढ़ सकता है।
किसानों को मिलेगी मदद
हमारे देश में जुलाई-अगस्त में सबसे अधिक बारिश होती है और ला नीना के कारण होने वाली अधिक बारिश के से किसानों को खेतों में सिंचाई में भी मदद मिलेगी। अगर अत्यधिक मात्रा में बारिश नहीं होगी तो चीनी, दाल, चावल और सब्जियों जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमत नियंत्रित रहेगी।
पिछले साल ऐसा रहा था हाल
एनओएए के अनुमान जताया है कि इस बार ला नीना के चलते औसत से अधिक बारिश यानी 106 प्रतिशत बारिश होने की संभावना है। 2023 में ये सामान्य से 94 प्रतिशत कम थी। आईएमडी ने 15 अप्रैल को अपने पूर्वानुमान में कहा था कि जून से सितंबर माह के बीच देश में ± 5% त्रुटि के साथ मॉनसूनी वर्षा करीब 106% रहने की उम्मीद है जो सामान्य से ऊपर की श्रेणी में आएगा। मौसम विभाग ने कहा है कि मई के अंतिम सप्ताह के दौरान फिर से एक पूर्वानुमान जारी किया जाएगा, जिसमें उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य भारत, दक्षिण प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर भारत में मॉनसून की स्थिति और पूर्वानुमान का जानकारी अपडेट की जाएगी।