चल रही है तैयारियां
विपक्ष जहां अपने तरकश में सरकार के खिलाफ मुद्दों का तीर भरने में जुटा है, वहीं भाजपा और एनडीए नेतृत्व हर हमले का काउंटर करने की रणनीति बना रहा है। दोनों कैंप में लगातार दो दिनों से देर रात तक बैठकों का सिलसिला चल रहा है। जिन मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेर सकता है उन मुद्दों पर पिछली यूपीए सरकार के प्रदर्शन को खंगाला जा रहा है।
विपक्ष जहां अपने तरकश में सरकार के खिलाफ मुद्दों का तीर भरने में जुटा है, वहीं भाजपा और एनडीए नेतृत्व हर हमले का काउंटर करने की रणनीति बना रहा है। दोनों कैंप में लगातार दो दिनों से देर रात तक बैठकों का सिलसिला चल रहा है। जिन मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेर सकता है उन मुद्दों पर पिछली यूपीए सरकार के प्रदर्शन को खंगाला जा रहा है।
ये हो सकते हैं विपक्ष के मुद्दे
लोकसभा में सीटें बढने से अब सदन में कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को बोलने के लिए अधिक समय आवंटित होगा। इसके चलते अधिक से अधिक सांसदों को बोलने का मौका मिलेगा।
- नीट पेपर लीक व एनटीए का कुप्रबंधन
- एग्जिट पोल से शेयर मार्केट की उठापटक से नुकसान
- बंगाल रेल हादसा और रेल सुरक्षा
- महंगाई, बेरोजगारी, संस्थाओं की स्वायत्तता
लोकसभा में सीटें बढने से अब सदन में कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को बोलने के लिए अधिक समय आवंटित होगा। इसके चलते अधिक से अधिक सांसदों को बोलने का मौका मिलेगा।
हिंदी पट्टी के सांसदों पर रहेगी नजर
राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से विपक्षी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरएलपी, सीपीएम, बीएपी के 59 सांसद निर्वाचित हुए हैं। यह सभी हिंदी पट्टी राज्यों से हैं। कांग्रेस से पिछली बार सिर्फ सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थी। ऐसे में हिंदी में भाषण देने वाले गिने-चुने नेता ही थे, जबकि इस बार हालात अलग तरह के होंगे।
राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से विपक्षी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरएलपी, सीपीएम, बीएपी के 59 सांसद निर्वाचित हुए हैं। यह सभी हिंदी पट्टी राज्यों से हैं। कांग्रेस से पिछली बार सिर्फ सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थी। ऐसे में हिंदी में भाषण देने वाले गिने-चुने नेता ही थे, जबकि इस बार हालात अलग तरह के होंगे।
नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं
पिछले दस साल से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष का आधिकारिक पद नहीं रहा। इसकी राह में एक नियम रोड़ा बना रहा। दरअसल, सदस्य संख्या का कम से कम 10 प्रतिशत, यानी 54 सांसद, होने पर ही नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल सकता है। कांग्रेस के पास 16 वीं और 17 वीं लोकसभा में सिर्फ 44 और 52 सांसद ही रहे। लेकिन, इस बार उसके सदस्यों की संख्या 99 तक पहुंची है। जिससे कांग्रेस को 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिला है। कांग्रेस कार्यसमिति ने राहुल गांधी को नेता बनने का प्रस्ताव पारित किया है लेकिन अभी उन्होंने हामी नहीं भरी है।
पिछले दस साल से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष का आधिकारिक पद नहीं रहा। इसकी राह में एक नियम रोड़ा बना रहा। दरअसल, सदस्य संख्या का कम से कम 10 प्रतिशत, यानी 54 सांसद, होने पर ही नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल सकता है। कांग्रेस के पास 16 वीं और 17 वीं लोकसभा में सिर्फ 44 और 52 सांसद ही रहे। लेकिन, इस बार उसके सदस्यों की संख्या 99 तक पहुंची है। जिससे कांग्रेस को 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिला है। कांग्रेस कार्यसमिति ने राहुल गांधी को नेता बनने का प्रस्ताव पारित किया है लेकिन अभी उन्होंने हामी नहीं भरी है।
नड्डा बन सकते हैं सदन में नेता
राज्यसभा में सत्ता पक्ष के नेता पीयूष गोयल के इस बार लोकसभा सांसद बन जाने के बाद अब भाजपा को नया नेता चुनना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जेपी नड्डा इस बार पीयूष गोयल का नेता सदन के रूप में स्थान ले सकते हैं।
राज्यसभा में सत्ता पक्ष के नेता पीयूष गोयल के इस बार लोकसभा सांसद बन जाने के बाद अब भाजपा को नया नेता चुनना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जेपी नड्डा इस बार पीयूष गोयल का नेता सदन के रूप में स्थान ले सकते हैं।
दो दिन शपथ, तीसरे दिन अभिभाषण
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के शुरुआती दो दिन 24 और 25 जून को नवनिर्वाचित सांसदों को प्रोटेम स्पीकर भर्तुहरि महताब व स्पीकर पैनल के सदस्यशपथ दिलाएंगे। बुधवार को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा। गुरुवार को को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण होगा। इस अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के अगले पांच साल का एजेंडे की झलक होगी।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के शुरुआती दो दिन 24 और 25 जून को नवनिर्वाचित सांसदों को प्रोटेम स्पीकर भर्तुहरि महताब व स्पीकर पैनल के सदस्यशपथ दिलाएंगे। बुधवार को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा। गुरुवार को को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण होगा। इस अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के अगले पांच साल का एजेंडे की झलक होगी।