पड़ोसी राज्यों से कम है हमारे दूध की कीमत
केएमएफ अध्यक्ष नाइक ने बताया कि इस बढ़ोतरी के बावजूद कर्नाटक के दूध की कीमतें पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि केएमएफ द्वारा बेचे जाने वाले दही और अन्य दूध उत्पादों की कीमतें अपरिवर्तित रहेंगी। दूध की कीमत में बढ़ोतरी का बचाव करते हुए कहा कि दूध की कीमत में वृद्धि एक लीटर के पाउच में 1,050 मिलीलीटर दूध उपलब्ध कराने की लागत को कवर करने के लिए है।
भाजपा ने दूध बढ़ोतरी की कीमत पर जताया विरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता आर अशोक सहित विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं ने इस कदम की निंदा की है। अशोक ने राज्य सरकार पर पहले से ही बढ़ती ईंधन लागत और मुद्रास्फीति के दबाव से जूझ रहे नागरिकों पर बोझ डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा है कि सिद्दारमैया सरकार ने सत्ता में आने के 13 महीनों के भीतर दूध की कीमतों में दो बार बढ़ोतरी की है। ऐसे समय में जब लोग पहले से ही पेट्रोल, डीजल और सब्जियों की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं, यह बढ़ोतरी उनकी वित्तीय परेशानियों को और बढ़ा देगी। हम सरकार से मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों की परेशानियों को देखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं।