देशभर में पीएम मोदी का नाम और भाजपा का धुआंधार प्रचार पश्चिम बंगाल में बेअसर हो गया। भाजपा ने ऐसी 6 सीटें खो दीं, जो पिछले चुनाव में भाजपा ने तृणमूल व कांग्रेस से छीन ली थीं। अब तृणमूल ने न केवल पुराना हिसाब चुकता कर दिया, बल्कि बंगाल में भाजपा के पैर पसारने के सपनों पर एक तरह से ब्रेक लगा दिया है। इसके अलावा जनादेश ने एक और संदेश भी दिया कि बंगाल में वो ही होगा, जो ममता दीदी चाहेगी।
पश्चिम बंगाल के कई क्षेत्रों में अलग-अलग चरण के मतदान के दौरान मैं कई लोगों से मिला और उनसे चुनाव के बारे में जानने की कोशिश की। लोगों से चर्चा की तो पता चला कि अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल का चुनावी मिजाज कुछ अलग है। कई क्षेत्रों में लोगों की नब्ज टटोलने पर भी यह समझना मुश्किल रहा कि आखिर उनके मन में क्या चल रहा है। लोग किस दल के साथ हैं, किसे जिताएंगे। लोगों की खामोशी के चलते यहां के चुनाव में कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन टीएमसी ने अपनी रणनीति से चुनावी कैम्पेन पर फोकस रखा।
चुनाव प्रचार की दृष्टि से पूरे बंगाल में टीएमसी का दबदबा दिखा, लेकिन क्षेत्र में बेरोजगारी, उद्योग-धंधों की कमी, संदेशखाली क्षेत्र में महिला उत्पीडऩ, शिक्षक भर्ती घोटाला जैसी घटनाओं के बाद लग रहा था कि यह माहौल राज्य सरकार के खिलाफ हो सकता है। भाजपा ने भी ऐसे मुद्दों को लेकर टीएमसी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर चुनाव में चुप्पी रखने वाली जनता ने सभी मुद्दों को नकार दिया।