जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आभूषणों और कीमती सामान की सूची बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही समिति के अध्यश्र जस्टिस बिस्वानाथ रथ कहना है कि चाबी मिले या नहीं, निर्धारित प्रक्रिया के तहत ताले को खोला जाएगा। रविवार को खजाने की गणना करने वाली टीम मंदिर के उत्तरी हिस्से में स्थित रत्न भंडार में प्रवेश करेगी। जब तक रत्न भंडार के सभी सामान की गणना होगी, ये शाकाहार और सात्विक रहेंगे। अंदर जाने वाली टीम को कहा गया है कि वहां जो भी देखेंगे किसी को नहीं बताएंगे।
रत्न भंडार दो हिस्से में है। पहला हिस्सा बाहरी रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के आभूषण आदि रखे हुए हैं। साल में पांच बार जब प्रभु का विशेष श्रृंगार होता है तब इसे खोला जाता है। इसे 17 जुलाई को भी खोला जाएगा, तब भगवान गुंडिचा मंदिर से वापस अपने श्रीमंदिर में आएंगे। एक क्विंटल से अधिक सोने का आभूषण पहनेंगे। अंदर का रत्न भंडार 46 साल बाद खुलेगा। बताया जा रहा है कि बारिश में पानी रिसता है, खजाने की मरम्मत को लेकर भी योजना बनाई जाएगी।
16 लोगों की टीम करेगी गणना
खजाने की गिनती करने वाली टीम में पुरी के राजा गजपति महाराज का एक प्रतिनिधि, स्वामी प्रज्ञानंद महाराज, एएसआई का एक सदस्य, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर या उनका प्रतिनिधि, भंडार का लेखा-जोखा रखने वाले दो पुजारी, राजा और मंदिर के बीच का मीडिएटर सेवायत, सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पीके मोहंती समेत 16 लोग होंगे। सुबह सबसे पहले भंडार के रक्षक भगवान लोकनाथ महादेव की पूजा करने के बाद टीम अंदर जाएगी।2018 में पता चला गायब हैं चाबियां
- चार अप्रेल 2018 को मंदिर की संरचना की जांच करने पहुंची एएसआइ टीम को बताया गया कि रत्न भंडार की चाबियां खो गई हैं। फिर डुप्लीकेट चाबी का भी पता चला।
- विवाद बढ़ता देख जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया। 29 नवंबर 2018 को जांच कमेटी ने अपनी 324 पेज की रिपोर्ट ओडिशा सरकार को सौंप दी। रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई।
- भाजपा और अमित शाह ने इस साल हुए विधानसभा चुनाव में खजाने की खोई हुई चाबी को बड़ा मुद्दा बनाया था। ऐसा कहा जाने लगा कि खजाना तमिलनाडु चला गया है।
600 करोड़ से अधिक बैंक में जमा
- 12वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण हुआ था। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पास मंदिर के संरक्षण का जिम्मा है। पुरी मंदिर के बैंक में जमा रकम करीब 600 करोड़ होने का अनुमान है।
- जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 के अनुसार, हर तीन साल में रत्न भंडार में रखे आभूषणों और सामग्री की लिस्टिंग की जानी चाहिए। अब 1926 और 1978 में लिस्टिंग हुई लेकिन मूल्यांकन नहीं हुआ था।
- जगन्नाथ मंदिर के नाम पर 60,822 एकड़ से अधिक जमीन है। ओडिशा में 60,426 एकड़ जमीन है। पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश में 395.25 एकड़ जमीन है।
इंदिरा गांधी को नहीं मिला था प्रवेश
पुरी जगन्नाथ मंदिर में सिर्फ सनातन हिन्दुओं को प्रवेश दिया जाता है। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी। मंदिर प्रशासन के अनुसार पारसी से विवाह करने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। यह भी पढ़ें
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