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Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव में फिर गरमाया वंशवाद का मुद्दा, परिवार के सदस्य और रिश्तेदार को मिले टिकट

Lok Sabha Elections 2024 : चुनावी समर में सबको परिवार भाया रहा है। जनादेश 2024 में वंशवाद चुनावी मुद्दा जरूर पर लेकिन किसी भी पार्टी ने इसे परहेज नहीं किया। लोकसभा चुनाव में परिवार के सदस्यों के अलावा रिश्तेदारों को भी टिकट दिया गया है।

Apr 02, 2024 / 08:46 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा गरमाया हुआ है। देश की दो प्रमुख पार्टियों के बीच चल रही सियासी जंग में भाजपा ने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को यह कहकर बचाव की मुद्रा में ला दिया है कि वे अपनी पारिवारिक विरासत को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबाव में कांग्रेस भी भाजपा से जुड़े परिवारवाद के उदाहरणों को सामने रखकर हमले कर रही है। तीसरी तरफ, क्षेत्रीय दल हैं जो मानने लगे हैं कि परिवार को तवज्जो देने में कोई बुराई नहीं है। इस चर्चा के बीच कर्नाटक का उदाहरण सामने आया जहां नौ ऐसे प्रत्याशी हैं जो राज्य के वर्तमान मंत्रियों के रिश्तेदार हैं। हालांकि, देखा जा रहा है कि इस चुनाव में परिवार के सदस्यों को टिकट देने में कोई दल पीछे नहीं है।


कर्नाटक में दिखेगा अलग ही नजारा

कर्नाटक में इस बार अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। तीनों प्रमुख दलों ने नेताओं के परिजनों को बड़ी संख्या में टिकट दिया है। हालांकि, इसके कारण भाजपा और कांग्रेस को अंदरूनी असंतोष का भी सामना करना पड़ रहा है। भाजपा को शिवमोग्गा तो कांंग्रेस को कोलार में परिवार के कारण दिक्कत हो सकती है। शिवमोग्गा, हासन, बेंगलूरु ग्रामीण, दावणगेरे सीटों पर राजनीतिक परिवारों से जुड़े उम्मीदवारों के बीच ही मुख्य मुकाबला होने की संभावना है।

“हां, हमने दिया है। हमने उन लोगों को टिकट दिया, जिनकी निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने सिफारिश की थी। यह वंशवाद की राजनीति नहीं है, बल्कि लोगों की राय को स्वीकार करना है।”- सिद्धरामय्या, सीएम कर्नाटक

कांग्रेस : परिवारों तक ही सीमित
कांग्रेस अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खरगे के दामाद दोड्डमणि राधाकृष्ण गुलबर्गा से चुनाव में उतरेंगे। कांग्रेस ने नौ मंत्रियों के बेटे-बेटियों या पत्नी को मैदान में उतार दिया है। एक और मंत्री के दामाद को कोलार से उतारने की योजना थी लेकिन इसका भारी विरोध हुआ। कांग्रेस की सूची में मंत्री, पूर्व मंत्री या पूर्व विधायकों के टिकट पाने वाले परिजनों के दर्जनभर से ज्यादा नाम हैं।

भाजपा : परिवारवाद का तड़का
अपने पुत्र को टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा के सबसे पुराने और अहम नेताओं में से एक के.एस. ईश्वरप्पा ने बगावत का झंडा उठा रखा है। ईश्वरप्पा ने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येडियूरप्पा के बेटे और मौजूदा सांसद बी.वाई. राघवेंद्र के खिलाफ ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। येडियूरप्पा के दूसरे बेटे बी.वाई. विजयेंद्र विधायक होने के साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। पार्टी ने पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जी.एम. सिद्धेश्वर का टिकट काटकर दावणगेरे से उनकी पत्नी गायत्री को उम्मीदवार बनाया है। पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई (पूर्व सीएम एसआर बोम्मई के बेटे) को भी उम्मीदवार बनाया है।

जेडीएस : परिवारवाद के झंडाबरदार
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा के परिवार के तीन सदस्य किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से दो जद-एस और एक भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। गठबंधन के बाद महज तीन सीटें देवगौड़ा की पार्टी के खाते में आई हैं। एक पर देवगौड़ा के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और दूसरे पर पौत्र व सांसद प्राज्वल रेवण्णा मैदान में हैं। देवगौड़ा के दामाद डॉ. सी. एन. मंजूनाथ को भाजपा ने बेंगलूरु ग्रामीण सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।


राजस्थान की कई सीटें परिवार भरोसे
राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने वंशवाद से कोई परहेज नहीं किया है। भाजपा ने एक परिवार से एक को ही टिकट देने की नीति तो तोड़ते हुए राजसमंद में विधायक विश्वनाथ सिंह की पत्नी को टिकट दिया है। जयपुर शहर से भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद उनकी बेटी को प्रत्याशी बनाया गया है। नागौर में पूर्व केंद्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा की विरासत को आगे बढाते हुए उनकी पौत्री को ज्योति मिर्धा को उतारा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत पहले से ही झालावाड़ में विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

कांग्रेस ने झुंझुनूं से सांसद रहे शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला को यहां से उम्मीदवार बनाया है। पूर्व सांसद राम सिंह कस्वां के पुत्र राहुल कस्वां को कांग्रेस ने चूरू से उम्मीदवार बनाया है। कस्वा ने भाजपा से टिकट कटने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जालोर-सिरोही किस्मत आजमा रहे हैं, जो पिछला चुनाव भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे। झालावाड़-बारां सीट पर पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन को प्रत्याशी बनाया गया है।


मध्य प्रदेश में विरासतों पर भरोसा
मध्यप्रदेश का छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ उम्मीदवार हैं। सीधी सीट से कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल उम्मीदवार हैं। कमलेश्वर पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के पुत्र हैं। रीवा से नीलम मिश्रा प्रत्याशी हैं। नीलम सिरमौर विधायक अभय मिश्रा की पत्नी हैं।

प्रत्याशी का नाम सीट रिश्ता पार्टी
राजस्थान
1- दुष्यंत सिंह – झालावाड़ा – वसुंधरा राजे के बेटे – भाजपा
2- ज्योति मिर्धा – नागौर – नाथूराम मिर्धा की पौत्री – भाजपा
3- वैभव गहलोत – जालोर सिरोही – अशोक गहलोत के पुत्र – कांग्रेस
2- बृजेंद्र ओला – झुंझुनूं – शराम ओला के पुत्र – कांग्रेस


मध्यप्रदेश
1- नकुलनाथ – छिंदवाड़ा – कमलनाथ के पुत्र – कांग्रेस
2- कमलेश्वर पटेल – सीधी – इंद्रजीत पटेल के पुत्र – कांग्रेस


पश्चिम बंगाल
1- अभिषेक बनर्जी – डायमंड हार्बर – ममता बनर्जी के भतीजे – टीएमसी
2- सौमेंदु अधिकारी – कांथी – सुभेंदु अधिकारी के भाई – भाजपा


उत्तर प्रदेश
1- राजवीर सिंह – एटा – कल्याण सिंह का बेटा – भाजपा
2- प्रवीण निषाद – संत कबीर नगर – संजय निषाद के पुत्र – निषाद पार्टी


बिहार
1- शांभवी चौधरी समस्तीपुर अशोक चौधरी की पुत्री लोजपा (आर)


कर्नाटक में नौ मंत्रियों के रिश्तेदार
1- प्रियंका जारकीहोली चिक्कोडी सतीश जारकीहोली की बेटी
2- मृणाल हेब्बलकर बेलगाम लक्ष्मी हेब्बालकर के पुत्र
3- संयुक्ता पाटिल कांग्रेस शिवानंद पाटिल की बेटी
4- राधाकृष्ण दोड्डमणि गुलबर्गा प्रियांक खरगे के बहनोई
5- सागर खंड्रे बीदर ईश्वर खंड्रे के पुत्र
6- डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन दावणगेरे एस.एस. मल्लिकार्जुन की पत्नी
7- सुनील बोस चामराजनगर डाॅ. एचसी महादेवप्पा के पुत्र
8- डी.के. सुरेश बेंगलूरु ग्रामीण डीके शिवकुमार के भाई
9- सौम्या रेड्डी बेंगलूरु दक्षिण रामलिंगा रेड्डी की बेटी


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