मेरे दिल यानी श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्रों पर जिस प्रकार मतदाताओं की लम्बी लम्बी-लम्बी कतारें देखी गई, उससे नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला अपना निर्वाचन क्षेत्र बदलने के फैसले पर गौर जरूर कर रहे होंगे। उमर तीन बार श्रीनगर से सांसद चुने जा चुके हैं। इस बार वे श्रीनगर छोडकऱ बारामूला लोकसभा सीट से राजनीतिक भाग्य आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन, पीडीपी के मोहम्मद फयाज मीर, अवामी इत्तेहाद पार्टी के शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद सहित 23 उम्मीदवारों से है।
बारामूला को कश्मीर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। विभाजन से पहले रावलपिंडी से कश्मीर घाटी में प्रवेश होने का प्रमुख मार्ग यहीं से होकर जाता था। बारामूला झेलम नदी के किनारे बसा हुआ है। कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बडग़ाम और बारामूला जिलों को मिलाकर बारामूला लोकसभा क्षेत्र का गठन किया गया। वर्ष 2022 में परिसीमन के बाद श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के बडग़ाम और बीरवाह विधानसभा क्षेत्र को बारामूला सीट में जोड़ा गया। अब इस सीट में कुल 18 विधानसभा क्षेत्र हैं।
उत्तरी कश्मीर का यह क्षेत्र बहुत ही खूबसूरत है। हिमालय पर्वत की गोद में हिल स्टेशन गुलमर्ग है। इतिहास के जानकार बताते हैं कि इसका पुराना नाम गौरीमर्ग था अर्थात भगवान शिव की पत्नी के नाम पर रखा गया था। राजा यूसुफ शाह चक ने इसका नाम बदलकर गुलमर्ग किया, जिसका अर्थ होता है गुलाबों का स्थान। अपने नाम के अनुरूप ही देवदार, चिनार के हरे भरे और घने पेड़ों के साथ यह घाटी सुन्दरता बिखेर रही है। गैंडोला में विश्व की सबसे ऊंची केबल कार है। बर्फ से ढके पहाड़ों के मनोरम दृश्य के बीच करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई तक का इसका सफर रोमांचित करता है। ऐसा ही रोमांच इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रतीत हो रहा है।
बारामूला लोकसभा क्षेत्र नेशनल कांफ्रेंस गढ़ रहा है। पार्टी प्रत्याशी उमर अब्दुल्ला सियासी रण में मजबूत दिखाई दे रहे हैं। इसकी दो वजह है। उमर ने वर्ष 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव बीरवाह सीट से जीता था। ये सीट पहले श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में थी। अब बारामूला सीट में शामिल हो गई है। उमर को उन मतदाताओं से पहले जैसा सहयोग मिलने की उम्मीद है। दूसरा बड़ा कारण प्रमुख विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी का बिखरना माना जा रहा है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उत्तर कश्मीर में सबसे ज्यादा 7 सीटें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीती थीं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पीडीपी को करारे झटके लगे। पूर्व मंत्री दिलावर मीर और इमरान रजा अंसारी ने पार्टी छोड़ दी। बारामूला से पीडीपी विधायक जावेद हुसैन बेग ने पार्टी का दामन छोड़ नेशनल कांफ्रेंस का हाथ पकड़ लिया। पीडीपी के कानून विशेषज्ञ कहने जाने वाले अब्बास वाणी पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ चले गए। पार्टी के दिग्गज रहे पूर्व मंत्री सैयद बशारत बुखारी और पूर्व सांसद अब्दुल रशीद शाहीन ने उमर के समर्थन का ऐलान कर राज्यसभा के पूर्व सांसद और पीडीपी प्रत्याशी मोहम्मद फयाज मीर के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
उमर की सीधी टक्कर पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन से मानी जा रही है। लोन कुपवाड़ा के रहने वाले हैं। वे अलगाववाद को छोड़ मुख्यधारा के राजनेता बने हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि उन्हें अंदरखाने भाजपा का समर्थन मिल रहा है। पीडीपी के पूर्व दिग्गज इमरान अंसारी खुले में उनका प्रचार कर रहे हैं। अपनी पार्टी का सहयोग मिलने से लोन को बांदीपोरा, गुलमर्ग और सुम्बल में फायदा होने की उम्मीद है।
आतंकियों के लिए पैसे जुटाने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद लोन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। रशीद को लोन का हिमायती माना जाता है। रशीद ने पिछला लोकसभा चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ा था। एक लाख वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी वे इतने ही वोट ले गए तो लोन की संसद पहुंचने की राह कठिन हो सकती है। रसीद की चुनाव में एंट्री से चुनावी समीकरण कुछ बदले हुए दिख रहे हैं।
श्रीनगर के मतदान के बाद चुनाव प्रचार में और रंगत आई हैं।
श्रीनगर के मतदान के बाद चुनाव प्रचार में और रंगत आई हैं।
बारामूला शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में नेशनल कांफ्रेंस के झंडियां, बैनर दिखाई दे रहे हैं। अब्दुल्ला परिवार की चौथी पीढ़ी अर्थात उमर के दोनों बेटे जमीर और जहीर अपनी पार्टी के लिए मतदाताओं से रूबरू हो रहे हैं। पीपुल्स कांफ्रेंस की टीम भी बराबर की टक्कर दे रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में धारा 370 मुख्य मुद्दा था। नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन चुनाव जीते थे। यह धारा हटने के बाद घाटी में शांति का दावा किया जा रहा है। मेरा मानना है कि इस बार के मतदान का प्रतिशत तय करेगा कि घाटी के लोगों ने सरकार के निर्णय को किस हद तक स्वीकार किया है।