रसद समझौते प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं जो ईंधन के आदान-प्रदान और आपसी समझौते पर प्रावधानों के लिए सैन्य सुविधाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करती हैं, रसद सहायता को सरल बनाती हैं और भारत से दूर संचालन करते समय सेना के परिचालन को मजबूत करती है।
आर्कटिक सुविधाओं तक होगी पहुंच
यह समझौता अभ्यास, प्रशिक्षण, बंदरगाहों पर जाने और मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयासों के लिए सैन्य-से-सैन्य आदान-प्रदान को सरल बनाएगा। आरईएलओएस पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत को आर्कटिक क्षेत्र में रूसी सुविधाओं तक पहुंच मिल जाएगी, जहां नए शिपिंग मार्ग खुलने के कारण वैश्विक गतिविधि बढ़ रही है। रूस के पूर्वी क्षेत्रों में भारत के बढ़ते निवेश को देखते हुए यह महत्त्वपूर्ण है। रूसी राजनीतिक विश्लेषक स्टानिस्लाव ने यहां तक कहा है कि नाटो ने दुनियाभर पर दबाव बनाया हुआ है। भारत—रूस का यह समझौता अपने आप में नाटो को एक कड़ा संदेश है।08:12 AM