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CM नहीं बनाया तो छोड़ी ससुर की पार्टी, अब बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही पूर्व सीएम की बहू

Jharkhand Politics: झारखंड की राजनीति में सीता सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच सियासी वर्चस्व का टकराव है।

रांचीMay 30, 2024 / 06:08 pm

Prashant Tiwari

झारखंड की सत्ता पर राज कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए इस बार का लोकसभा चुनाव सिर्फ चुनाव ही नहीं परिवार के प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। दरअसल, दुमका सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जिस सीता सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है वो न सिर्फ सोरेन परिवार की सदस्य है बल्कि वह झारखंड की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ भी रखती है। सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन के दिवंगत पुत्र दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सीएम न बनाए जाने से नाराज सीता ने जेएमएम को न सिर्फ अलविदा कह दिया बल्कि बीजेपी के टिकट पर लोकसभा के रण में भी कूद गई हैं।     
हेमंत सोरेन से सियासी टकराव

झारखंड की राजनीति में सीता सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच सियासी वर्चस्व का टकराव है। सीता सोरेन राजनीति में अपने पति के मौत के बाद आई हैं। सीता के पति दुर्गा सोरेन एक समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावार नेता माने जाते थे। वहीं, शिबू सोरेन अपने बड़े बेटे दुर्गा को झारखंड की राजनीति में उत्तराधिकारी के रूप स्थापित करने में लगे थे, इसी बीच 39 वर्ष की उम्र में 21 मई 2009 को दुर्गा सोरेन की बोकारो अस्पताल में मृत्यु हो गई।  
Left father-in-law's party when he was not made CM, now Shibu Soren's daughter-in-law Sita Soren is contesting elections on BJP ticket
पति की मौत के बाद राजनीति में आई सीता

दुर्गा सोरेन के निधन के बाद शिबू ने अपने मंझले बेटे हेमंत को राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ाना शुरू किया तो सीता सोरेन भी राजनीति में आईं। हेमंत सोरेन ने 2019 विधानसभा चुनाव में खुद को शिबू सोरेने के वारिस के तौर पर साबित भी किया तो सीता सोरेन तीसरी बार विधायक बनकर दुर्गा सोरेन की सियासत को आगे बढ़ाने का काम किया। 
Left father-in-law's party when he was not made CM, now Shibu Soren's daughter-in-law Sita Soren is contesting elections on BJP ticket
सीएम नहीं बनाया तो कर दिया बगावत

इस साल के शुरुआत में जब जमीन घोटाले के आरोप में ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया तो सीता को लगा कि अब सीएम बनने का सही समय आ गया है और उन्होंने अपनी दावेदारी पेश कर दी। वहीं, राजनीति के जानकार मानते हैं कि उस समय सीएम सोरेन अपनी कुर्सी अपनी पत्नी कल्पना को सौंपना चाहते थे। लेकिन सीता के दावेदारी और पार्टी में बगावत होने के डर से उन्होंने अपने वफादार और अपनी सरकार में परिवहन मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे चंपई को सीएम का पद सौंपा। इससे पार्टी में बगावत तो नहीं हुई लेकिन सीता ने पार्टी को अलविदा कर बीजेपी का दामन थाम लिया।   
Left father-in-law's party when he was not made CM, now Shibu Soren's daughter-in-law Sita Soren is contesting elections on BJP ticket
 बीजेपी ने सीता पर लगाया दांव

वहीं, सूबे की सत्ता पर फिर से अपना राज हासिल करने में जुटी बीजेपी ने भी सीता को हाथों हाथ लिया। पार्टी ने इस सीट से अपने सांसद सुनील सोरेन का टिकट काट सीता को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि दुमका लोकसभा सीट पर आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के वोटरों का दबदबा है। इस सीट पर 40 फीसदी आदिवासी, 40 फीसदी पिछड़ी जातियां और 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। आदिवासी और अल्पसंख्यक वोटरों को झारखंड मुक्ति मोर्चा का परंपरागत वोटर माना जाता है। यही कारण है कि इस सीट से साल 1989 से ही यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रही है और इस सीट से सात बार से शिबू सोरेन सांसद बनते आ रहे हैं। हालांकि 2019 में शिबू सोरेन को भी हार का सामना करना पड़ा था।
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