बदलाव कर फिर पेश किया प्रस्ताव
शुरुआत में प्रस्ताव में संविधान की पहली अनुसूची और आठवीं अनुसूची दोनों में संशोधन की मांग की गई थी। हालांकि, केंद्रीय गृह विभाग की सलाह के बाद जिसमें सुझाव दिया गया था कि केवल पहली अनुसूची में ही बदलाव की आवश्यकता है। प्रस्ताव को संशोधित किया गया और फिर से पेश किया गया।
जानिए क्या नए नाम का मतलब
‘केरलम’ एक ऐसा नाम है, जिसकी ऐतिहासिक और साहित्यिक जड़ें गहरी हैं, लेकिन अंग्रेजों ने ‘केरल’ नाम को लोकप्रिय बनाया। राज्य के गठन के 65 साल से भी अधिक समय बाद मलयाली लोगों ने अभी तक सभी आधिकारिक दस्तावेजों में ‘केरलम’ नाम को आधिकारिक तौर पर पुनः प्राप्त नहीं किया है। मलयालम में राज्य को ‘केरलम’ कहा जाता है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में भी इसे अंग्रेजी में ‘केरल सरकार’ लिखा जाता है।
बीते साल सीएम ने पेश किया था प्रस्ताव
मुख्यमंत्री ने पिछले साल प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था, नियम 118 के तहत एक प्रस्ताव इस सदन में पेश किया जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह हमारे राज्य का आधिकारिक नाम भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में ‘केरलम’ कर दे।
केंद्र सरकार से किया अनुरोध
उन्होंने कहा था कि संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा हुआ है। यह विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से अनुरोध करती है कि वह संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इसे ‘केरलम’ के रूप में संशोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाए। संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में इसका नाम बदलकर ‘केरलम’ कर दे।