5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रपति की अनुमति से जम्मू-कश्मीर को प्राप्त धारा 370 और 35 A को संसद में बिल लाकर समाप्त कर दिया था। मोदी सरकार के इस फैसले को कश्मीर के कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 5 सितंबर को दोनों पक्षों की मौखिक दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट सोमवार को पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दिए गए विशेष दर्जे को छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले 2019 के राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर फैसला अपना फैसला सुनाएगा। वहीं, आज फैसला आने से पहले ही विरोधी पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ लड़ाई हारने के लिए लड़ी जाती है।
कुछ लड़ाई हारने के लिए लड़ी जाती है- कपिल सिब्बल
वहीं, याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने आज फैसला आने से पहले कहा एक्स पर लिखा, न्यायालयों, कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं। इतिहास को पीढ़ियों के जानने के लिए असुविधाजनक तथ्यों को दर्ज करना होगा। संस्थागत कार्रवाइयों के सही और गलत होने पर आने वाले वर्षों में बहस होती रहेगी। इतिहास ही अंतिम निर्णायक है।
केंद्र के फैसले के विरोध में दाखिल किया गई थी 22 याचिकाएं
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसपर लगातार 16 दिन तक मैराथन सुनवाई हुई थी। वहीं आज फैसले को लेकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11 दिसंबर की कॉज लिस्ट में कहा गया है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी।
SC ने 16 दिन की सुनवाई के बाद 5 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं आज राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2023 और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम (संशोधन) बिल 2023 पेश करेंगे, ये दोनों बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुके हैं।
महबूबा मुफ्ती नजर बंद
वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के इशारे पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उनकी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पीडीपी के दांले तो नकार दिया है। उनके प्रवक्ता की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है।