वह नमाज अदा करके घर लौटा ही था कि तेज…
मोमिरुल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ”मैं नमाज अदा करके घर लौटा ही था। घर के सभी लोग त्योहार का जश्न मनाने के मूड में थे और तभी हमने अचानक एक तेज़ चींख सुनाई दी। मैं अपने घर के पास रेलवे ट्रैक की ओर भागता हुआ पहुंचा तो देखा बहुत कुछ बर्बाद हो चुका था। पटरी से उतरे ट्रेन के डिब्बे देखे। मैंने मालगाड़ी के लोको पायलट को यात्री ट्रेन के पहिये के नीचे लेटे हुए देखा। मेरे पायलट तक पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ चुका था।”
निर्मलजोत के मुस्लिम ग्रामीणों ने यात्रियों की बचाई जान
मोमिरुल ने यात्रियों को बचाने के लिए जब गांव वालों को पुकारा तो उसके साथ निर्मल जोत गांव के 150 से अधिक निवासी भी इस मुहिम में जुट गए। ग्रामीण घायल यात्रियों को उठाकर पास के अस्पताल पहुंचे। कुछ यात्री जो कम घायल थे या जिनके होश उड़ गए थे, उन्हें गांव वाले अपने घर ले गए। इस घटना के गवाह रहे लोगों का कहना है कि घटनास्थल पर पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और आपदा प्रबंधन टीमों को एक घंटे से अधिक समय लग गया।
बुजुर्ग घायल महिला पानी-पानी की रट लगाए जा रही थी…
वहीं तस्लीमा खातून ने बताया, “मैं त्योहार के लिए तैयार हो रही थी लेकिन इस हादसे की खबर लगते ही मैं दौड़ती हुई घटनास्थल पर पहुंची। मैंने पाया कि वहां एक बुजुर्ग महिला घायल पड़ी हुई थी और वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। वह रो रही थी और पानी-पानी की रट लगाए जा रही थी। वह असहाय महसूस कर रही थी। मैंने उसे बार-बार ढांढस बंधाया। कुछ घंटों बाद उनके रिश्तेदार सिलीगुड़ी से आए और उन्हें वापस ले गए।
‘बालासोर ट्रेन हादसे की याद हो आई’
तस्लीमा ने बताया, “मुझे पिछले साल हुई बालासोर ट्रेन दुर्घटना (Balasore Train accident) की याद हो आई लेकिन मैंने यह कभी भी नहीं सोचा था कि ऐसा दर्दनाक मंजर मेरे ही आंखों के आगे घटेगा।”