JK Elections : जम्मू-कश्मीर ने दिखाया जज्बा, पहले चरण में मतदान 60 फीसदी पार
Jammu And Kashmir Elections : जम्मू-कश्मीर में बुधवार को हुए पहले चरण के मतदान में कई रिकार्ड बनते नजर आए। दस साल बाद हुए चुनाव में 58.19 फीसदी मतदान हुआ।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बुधवार को जबरदस्त मतदान हुआ। 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान लोगों ने भारी उत्साह दिखाई दिया। सात जिलों की 24 विधानसभा सीटों के लिए शाम पांच बजे तक 58.19 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। मतदान शाम छह बजे संपन्न हुआ। मतदान का अंतिम आंकड़ा आना अभी बाकी है। शाम पांच बजे के आंकड़ों के मुताबिक किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 77.23 फीसदी और पुलवामा में सबसे कम 43.87 फीसदी वोटिंग हुई। मतदान केंद्रो के बाहर युवा, बुजुर्गों और महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जम्मू-कश्मीर निर्वाचन आयोग ने पोलिंग बूथ पर लोगों की भारी संख्या को देखते हुए उम्मीद जताई कि इस बार रेकॉर्डतोड़ मतदान हो सकता है।
महबूबा के बेटी इल्तिजा मुफ्ती का फैसला EVM में कैद
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती और किश्तवाड़ से भाजपा प्रत्याशी शगुन परिहार समेत 219 उम्मीदवारों पर फैसला ईवीएम में बंद हो गया। निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जगह-जगह सुरक्षा बल तैनात थे। सभी जिलों में मतदान शांतिपूर्ण रहा। बिजबेहरा और डीएच पुरा के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई।
बिना पहचान पत्र मतदान का आरोप
किश्तवाड़ से भाजपा प्रत्याशी शगुन परिहार ने बागवान मोहल्ले में बिना पहचान पत्र वोट डलवाने का आरोप लगाया। इसके कारण कुछ देर वोटिंग रुकी रही। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोगों से मतदान की अपील की थी। अलग-अलग राज्यों में रहने वाले 35 हजार से ज्यादा विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने भी वोट डाला। उनके लिए जम्मू में 19, दिल्ली चार और उधमपुर में एक स्पेशल बूथ बनाया गया था।
आतंकी त्रिकोण में मतदान हुआ पुरजोर
आतंकी त्रिकोण अनंतनाग, पुलवामा और शोपियां में लोगों ने जोर-शोर से मतदान में हिस्सा लिया। युवाओं और महिलाओं ने खासा उत्साह देखा गया। पत्थरबाजी के लिए पहचाने जाने वाले शोपियां में लोगों जमकर जमकर वोटिंग की। इन इलाकों में पहले मतदान का बहिष्कार किया जाता था। इस बार लोगों ने आतंकवाद को मुंहतोड़ जबाव दिया।