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Jammu Kashmir Elections: घाटी में साफ दिख रहा बदलाव, 370 हटने का मलाल लेकिन, अमन लौटने से जीवन आसान

Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर इन दिनों चुनावी रंग में रंगा है। हर रोज नई-नई सियासी चालें चली जा रही हैं। हालांकि, जनजीवन पूरी तरह सामान्य है। घाटी में किसी तरह का खौफ नहीं है। पढ़िए जग्गोसिंह धाकड़ की खास रिपोर्ट…

जम्मूSep 22, 2024 / 11:44 am

Shaitan Prajapat

Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर इन दिनों चुनावी रंग में रंगा है। हर रोज नई-नई सियासी चालें चली जा रही हैं। हालांकि, जनजीवन पूरी तरह सामान्य है। घाटी में किसी तरह का खौफ नहीं है। नेता दावे-वादे कर रहे हैं। कुछ जहर घोलने वाले भाषण भी दे रहे हैं, लेकिन जनता पर उनका असर नहीं हो रहा है। घाटी पर्यटकों से भी गुलजार है। प्रत्याशी निडर प्रचार में जुटे हैं। पर्यटक भी बेहिचक घूमने का लुत्फ उठा रहे हैं। हालांकि, अनुच्छेद 370 हटने को स्थानीय लोगों पचा नहीं पा रहे हैं। बात शुरू करते ही विरोध जताते हैं। लेकिन, यह भी मानते हैं कि घाटी में अमन है। लोग जम्मू संभाग में आतंकी घटनाएं शुरू होने पर चिंतित भी हैं।
घाटी के मीर इकबाल ने कहा, 370 हटाने से हमारी पहचान छीन गई है। हालांकि, रोजाना होने वाली हड़ताल और पत्थरबाजी की घटनाएं अब नहीं होती है। इससे जिंदगी आसान हुई है। होटल व्यवसायी, रेस्टोरेंट संचालक और फेरी वाले खुश नजर आए। बिहार के कुल्फी विक्रेता मनोज ने बताया कि वे 15 साल से यहां हैं, लेकिन इतना अच्छा माहौल पहले कभी नहीं था। अब आय भी बढ़ी है।

पहली बार ऐसा अच्छा माहौल

श्रीनगर के घंटाघर से कुछ दूरी पर रेस्टोरेंट संचालक योगेश से पूछा, कैसा व्यवसाय चल रहा है, तो बोले- इस समय सबकुछ अच्छा चल रहा। बस इसी तरह अमन बना रहे। उन्होंने कहा, हमारे पुरखों ने इस रेस्टारेंट को 1966 में एक छोटी दुकान के रूप में शुरू किया था, लेकिन इतना अच्छा माहौल कभी नहीं रहा।

विश्वास नहीं हो रहा यह लालचौक

लालचौक पर मिली दिल्ली से पहली बार कश्मीर आई विजय लक्ष्मी ने कहा, सुना था कि काफी कुछ बदल गया है, लेकिन फिर भी यहां आने से पहले मन में डर था कि पता नहीं कैसा माहौल होगा। जब परिवार के साथ यहां पहुंचे तो बड़ा अचरज हुआ। यहां रात तक बच्चों को खेलते देख विश्वास नहीं हुआ।

खेल मैदान और पार्कों में चहल-पहल

शाम के समय डल झील पहुंचा तो वहां देखा कि शांत पानी में नाव खूबसूरती से सरक रही है और पक्षी धीरे-धीरे बतिया रहे हैं। पर्यटक इन सुनहरे पलों को कैमरे में कैद कर रहे हैं। पोलो ग्राउंड पहुंचा तो शाम को बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे, पार्कों में चहल-पहल थी।

‘सोचा था चुनाव है, घूमना मुश्किल होगा’

सहारनपुर से घूमने आए प्रिया और सत्यम ने कहा, यहां आने से पहले सोचा कि चुनाव के माहौल में तो घाटी में घूमना मुश्किल होगा, लेकिन यहां चुनाव का शोर कहीं सुनने को नहीं मिला।
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30 साल बाद खुले सिनेमा घर

लालचौक पर मिले सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि कॉलेज के दिनों में बुजुर्गों से फिल्में देखने की बातें सुनी थी। हिंसा के कारण सिनेमा हॉल जब बंद हुए तब मैं बहुत छोटा था। मुझे हमेशा इस बात का मलाल रहता था। अब कोई मलाल नहीं है। तीस साल बाद 2021 में कश्मीर में पहली बार सिनेमा हॉल खुला। श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना। पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में चार नए थियेटर खुले हैं।
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ये बदलाव आया
2.11 करोड़ पर्यटक आए थे वर्ष 2023
2.5 गुना वृद्धि हुई विदेशी पर्यटकों की संख्या में
100 अधिक फिल्मों की शूटिंग हुई 370 हटने के बाद

मुद्दा बना पड़ोसी देशः
भाजपा की शादी पाकिस्तान सेः खरगे

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर चुनाव में पाकिस्तान मुद्दा बन गया है। भाजपा, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेताओं में पाकिस्तान को लेकर जबानी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को कहा कि भाजपा की प्रेम भारत हो सकता है लेकिन, उसकी शादी पाकिस्तान से हुई है। खरगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस आरोप का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान और कांग्रेस-नेकां का एजेंडा एक ही है। दरअसल, पाकिस्तान के एक मंत्री ने अपने आलेख में लिखा था कि कांग्रेस और नेकां का घोषणापत्र पाकिस्तान के पक्ष का समर्थन करता है। इसके बाद से भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे मुद्दा बना रखा है।

आतंक के लिए फारुक जिम्मेदारः शाह

अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला पर भी सीधा हमला किया और कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए अब्दुल्ला जिम्मेदार हैं। फारूक अब्दुल्ला के समय इस क्षेत्र में सीमा पार से लगातार गोलाबारी होती थी। अब गोले की गर्जना बंद हो गई है क्योंकि, पाकिस्तान प्रधानमंत्री मोदी से डर गया है। इससे पहले फारुक ने कहा था कि भाजपाई ही पाकिस्तानी हैं।

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