लाइफटाइम फ्री क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को किसी तरह की ज्वाइनिंग फीस या एनुअल चार्ज और रिन्यूएबल फीस नहीं देनी होती है। हालांकि, समय पर पेमेंट नहीं करने पर फीस लगता है। कैश एडवांस फीस या ब्याज जैसे फीस आपके कार्ड का उपयोग करने के तरीके के आधार पर लागू होते हैं। यानी यह कार्ड तो फ्री है, पर इसके फीचर्स और इस्तेमाल करने के तरीके के आधार पर इस पर विभिन्न तरह के फीस लग सकते हैं। ये कार्ड सभी ग्राहकों को नहीं मिलते हैं। इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं।
क्रेडिट स्कोर: 750 या उससे ज्यादा का क्रेडिट स्कोर अच्छा माना जाता है और लाइफटाइम फ्री क्रेडिट कार्ड हासिल करने में मदद करता है। स्थिर आय: बैंक यह देखती है कि ग्राहक की आय सालाना आधार पर स्थिर है या नहीं। इस कार्ड के लिए एक न्यूनतम वार्षिक आय की आवश्यकता होती है।
भारत में नो-कॉस्ट ईएमआइ पर क्रेडिट कार्ड से खरीदारी का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। यह विकल्प आकर्षक है क्योंकि एकसाथ मोटी रकम चुकाने के बजाय आप 3 से 12 माह में बिना ब्याज चुकाए छोटी-छोटी ईएमआइ में बड़ी राशि चुकाते हैं। लेकिन नो-कॉस्ट ईएमआइ जीरो कॉस्ट नहीं है। इसमें कई फीस और एक्स्ट्रा कॉस्ट वसूल किया जाता है। क्रेडिट कार्ड का बकाया पूरा बिल यदि समय पर नहीं चुकाते हैं तो इसकी ऊंची ब्याज दरें आपको कर्ज के भंवर में धकेल सकती है। क्रेडिट कार्ड कंपनी कुल बिल का मिनिमम बैलेंस चुकाने पर सालाना 52त्न तक फाइनेंस चार्ज वसूलती हैं।
मान लीजिए आपने 62,000 रुपए का फोन नो-कॉस्ट ईएमआइ पर खरीदा
ईएमआइ अवधि: 09 माह
वार्षिक ब्याज: 16% (यह ग्राहक के बदले मर्चेंट चुकाते हैं)
ईएमआइ राशि: 6,889 रुपए
कुल ब्याज: 3,939 रुपए (यह राशि एक तरह से ग्राहकों को डिस्काउंट के रूप में मिलता है।)
लगता है यह चार्ज
प्रोसेसिंग फीस: 235 रुपए (18% जीएसटी शामिल)
ब्याज पर 18% जीएसटी: 709 रुपए
यानी आपको 944 रुपए अतिरिक्त चुकाने होंगे
नो-कॉस्ट ईएमआइ के फायदे
- 03 से 12 महीने के आसान किस्त पर भुगतान करने का विकल्प।
- लोन की ब्याज दरें ग्राहकों के बदले व्यापारी या मैन्युफैक्चरर चुकाते हैं
- यह नॉर्मल ईएमआइ पर खरीदारी से सस्ता।
इसके नुकसान - महंगी चीजें खरीदने को करता है प्रेरित जो अफोर्डेबल नहीं हैं।
- यह जीरो कॉस्ट ईएमआइ नहीं, इसमें प्रोसेसिंग फीस सहित कई चार्ज और जीएसटी शामिल।