bell-icon-header
राष्ट्रीय

भारत में ग्लूकोमा के 80 फीसदी मामलों का पता ही नहीं चलता, दुनिया में आठ करोड़ से ज्यादा पीड़ित

ग्लूकोमा मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।

Feb 01, 2024 / 09:23 am

Shaitan Prajapat

Glaucoma Cases : भारत में दृष्टिहीनता की तीसरी सबसे बड़ी वजह ग्लूकोमा के 80 फीसदी मामलों का पता ही नहीं चल पाता। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लूकोमा ऐसा रोग है, जो ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करता है। इसके आमतौर पर कोई प्रारंभिक लक्षण नहीं होते। धीरे-धीरे आंखों की रोशनी प्रभावित होने लगती है। फिलहाल दुनियाभर में आठ करोड़ से अधिक लोग ग्लूकोमा से पीडि़त हैं। 2040 तक इस रोग के कारण विश्व में 11 करोड़ से ज्यादा लोगों के पीड़ित होने की आशंका है। इनमें दुनिया के बाकी हिस्से की तुलना में एशिया और अफ्रीका के देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। भारत में 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 1.12 करोड़ लोगों को ग्लूकोमा है, लेकिन उनमें से केवल 20 प्रतिशत ही जानते हैं कि उन्हें यह समस्या है।


विकासशील देशों में ज्यादा नुकसान

विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में इस बीमारी से प्रभावित लोगों को विशेष नुकसान होता है। विकासशील देशों में ग्लूकोमा होने की आशंका अधिक होती है। साथ ही दृष्टिहीनता की ओर बढऩे का खतरा भी ज्यादा होता है। रोग की अलग-अलग परिभाषा और उपकरणों की कमी इसे और बढ़ा सकती है।

नियमित जांच जरूरी

ग्लूकोमा मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में रोग का समय रहते पता लगाने के लिए आंखों की नियमित जांच जरूरी है। फैमिली हिस्ट्री होने पर ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक रहता है।

2040 तक कहां कितना खतरा

क्षेत्रप्रभावितों की संख्या (करोड़ों में)
एशिया6.68
अफ्रीका1.91
यूरोप0.78
उत्तरी अमरीका0.47
लैटिन अमरीका और कैरेबियन1.28
ओशिनिया0.04


स्रोत : अमरीकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेमेलॉजी

यह भी पढ़ें

Budget 2024: सरकार का रोटी-मकान सहित इन मुद्दों पर होगा फोकस, आम आदमी हैं बड़ी उम्मीदें




यह भी पढ़ें

ये कोई प्लेटफॉर्म नहीं है कोर्ट, ट्रेन आई और चढ़ गए… सीजेआई ने वकील को लगाई फटकारा

Hindi News / National News / भारत में ग्लूकोमा के 80 फीसदी मामलों का पता ही नहीं चलता, दुनिया में आठ करोड़ से ज्यादा पीड़ित

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.