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High Court: ‘लिव-इन-रिलेशनशिप में भाग कर शादी करना माता-पिता के सम्मान का उल्लंघन’

HC on Live in Relationship:  पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट  ने सुरक्षा के लिए दायर याचिकाएं खारिज की। कोर्ट ने कहा कि विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप उनके माता-पिता की गरिमा और सम्मान से जीने के अधिकार का उल्लंघन है। 

नई दिल्लीJul 27, 2024 / 01:07 pm

Akash Sharma

Punjab and haryana high court on live in relationship

Live in Relationship: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए कहा कि विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप उनके माता-पिता की गरिमा और सम्मान से जीने के अधिकार का उल्लंघन है। इस तरह के रिश्ते विवाह की पवित्रता को भंग करते हैं। जस्टिस संदीप मौदगिल की पीठ ने परिजनों से सुरक्षा की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि हमारे देश में विवाह पवित्र रिश्ता है, जिसके महत्त्वपूर्ण कानूनी और सामाजिक परिणाम होते हैं।

Supreme Court के फैसले का दिया हवाला

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विवाहित व्यक्तियों के बीच लिव-इन संबंध व्यभिचार और द्विविवाह के समान हैं, इसलिए गैर-कानूनी हैं। कोर्ट ने कहा कि विवाह भारतीय समाज में आवश्यक सामाजिक संबंधों में से एक है। इसे स्थिर समुदाय के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए। विवाहित लोगों के घर से भागकर लिव-इन में रहने से न केवल परिवार की बदनामी होती है, सामाजिक ताना-बाना भी बिगड़ता है।


‘सम्मान से जीने का हर कोई अधिकारी’


याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाएं दायर कर जीवन और स्वतंत्रता के लिए परिजनों से सुरक्षा की मांग की थी। परिजन उनके संबंधों का विरोध कर रहे थे। कोर्ट को पता चला कि याचिकाकर्ताओं की उम्र 40 साल से अधिक थी और पहले से शादीशुदा होने के बाद लिव-इन रिलेशन में थे। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को शांति, सम्मान से जीने का अधिकार है। ऐसी याचिकाओं को अनुमति देने से द्विविवाह को बढ़ावा मिलेगा और दूसरे पति/पत्नी तथा बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

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